स्वतन्त्रा के बाद धीरे धीरे भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में भी शिक्षा की स्थिति लगातार सुधार की दिशा में अग्रसर है। सरकारों और सामाजिक संगठनों के वर्षों के प्रयासों से देश में साक्षरता दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। किंतु यह प्रश्न अक्सर चर्चा में आता है कि क्या भारत का कोई जिला ऐसा है जो वास्तव में पूर्ण साक्षर, यानी 100% साक्षर हो चुका है?
क्या कोई भारतीय जिला 100% साक्षर हो चुका है?
वर्तमान में भारत का कोई भी जिला आधिकारिक रूप से 100% साक्षर घोषित नहीं किया गया है। हालांकि कुछ जिले ऐसे हैं जहाँ साक्षरता दर 97% से अधिक है, और इन्हें भारत के सबसे साक्षर जिलों में गिना जाता है। ये जिले शिक्षा के क्षेत्र में न केवल राज्य बल्कि देशभर में प्रेरणा स्रोत बन चुके हैं।
भारत के शीर्ष साक्षर जिले (97% से अधिक साक्षरता दर वाले)
जिला | राज्य | साक्षरता दर (%) |
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सेरछिप (Serchhip) | मिज़ोरम | 97.91% |
आइजोल (Aizawl) | मिज़ोरम | 97.89% |
माहे (Mahe) | पुद्दुचेरी | 97.87% |
कोट्टायम (Kottayam) | केरल | 97.21% |
पत्तनमत्तिट्टा (Pathanamthitta) | केरल | 96.55% |
चामफाई (Champhai) | मिज़ोरम | 95.91% |
एर्नाकुलम (Ernakulam) | केरल | 95.89% |
आलप्पुझा (Alappuzha) | केरल | 95.72% |
इन जिलों में शिक्षा को केवल सरकारी प्राथमिकता नहीं, बल्कि सामाजिक संस्कार और सांस्कृतिक चेतना का हिस्सा माना जाता है। विशेष रूप से केरल और मिज़ोरम जैसे राज्यों ने प्रारंभिक शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और वयस्क साक्षरता कार्यक्रमों के माध्यम से यह उपलब्धि प्राप्त की है।
राज्य स्तर पर कहां है सबसे ज़्यादा साक्षरता?
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (PLFS 2023-24) और हाल की रिपोर्टों के अनुसार, भारत में कुछ राज्य ऐसे हैं जो “पूर्ण साक्षरता” की सीमा तक पहुँच चुके हैं:
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मिज़ोरम – 98.2%
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लक्षद्वीप – 97.3%
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केरल – 95.3%
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त्रिपुरा – 93.7%
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गोवा – 93.6%
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 31 मई 2025 को गोवा को भारत का “पूर्ण साक्षर राज्य” घोषित किया गया। हालांकि यह ‘100% साक्षरता’ का प्रतीकात्मक संकेत है, व्यावहारिक रूप से अब भी कुछ लोगों तक शिक्षा की पहुँच शेष है।
इतनी ऊँची साक्षरता क्यों संभव हुई?
इन जिलों और राज्यों ने शिक्षा के क्षेत्र में कई मौलिक पहलें की हैं:
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प्रारंभिक बाल शिक्षा पर ज़ोर – प्री-स्कूल स्तर से ही बच्चों में पढ़ने-लिखने की आदत विकसित की गई।
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महिलाओं और वयस्कों की साक्षरता – महिला समूहों, NGO, और स्थानीय निकायों ने बड़ी भूमिका निभाई।
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आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल पहुँच – कठिन इलाकों तक विद्यालय और शिक्षक पहुँचाए गए।
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डिजिटल साक्षरता अभियान – विशेष रूप से मिज़ोरम और केरल में डिजिटल तकनीक के ज़रिए शिक्षा को व्यापक बनाया गया।
निष्कर्ष
हालाँकि आज भी भारत का कोई जिला 100% साक्षर नहीं कहा जा सकता, परंतु सेरछिप (मिज़ोरम), कोट्टायम (केरल), और माहे (पुद्दुचेरी) जैसे जिले इस लक्ष्य के बहुत करीब हैं। राज्य स्तर पर मिज़ोरम, केरल, और गोवा ने शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है।
यह बदलाव केवल सरकारी प्रयासों का परिणाम नहीं, बल्कि समाज की समवेत चेतना, जागरूकता और शिक्षा के प्रति सामूहिक जिम्मेदारी की मिसाल भी है। भविष्य में यह आशा की जा सकती है कि भारत के कई जिले और राज्य “पूर्ण साक्षरता” के लक्ष्य को औपचारिक रूप से प्राप्त कर लेंगे।