भारत का वास्तविक इतिहास हम सभी हस्तिनापुर के राजा दुष्यन्त के पुत्र महाराजा भरत के बाद से ही मानते है, क्योंकि ज्यादतर इतिहास के लेखको ने यही माना है की इस भू-भाग का नाम भारत उनके ही नाम पर रखा गया, उसके पूर्व इस सम्पूर्व भू-भाग को आर्यव्रत कहा जाता था क्योंकि यहाँ पर अधिकांश राजाओ का आर्य होना था, आर्यो का उदय कैसे हुआ इसकी इतिहास में विस्तृत चर्चा की गयी है। यहाँ पर हमने भारतीय इतिहास का एक कालक्रम दिया है (timeline of indian history in hindi) हिंदी में
भारतीय के इतिहास का संक्षिप्त काल क्रम
काल | समय सीमा |
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पालिओलिथिक | 2,500,000-250,000 BC |
नवपाषाणु | 10,800-3300 BC |
चाल्कोलिथिक | 3500-1500 BC |
कांस्य युग | 3000-1300 BC |
लोह युग | 1300-230 BC |
शास्त्रीय अवधि | 230 BC-1206 CE |
मध्यकालीन और प्रारंभिक आधुनिक काल | 1206-1858 CE |
औपनिवेशिक काल | 1510-1961 CE |
इतिहास का प्रारम्भ
इतिहास की शुरुबात मानव जन्म से ही शुरू हो जाती है, जब से मनुष्य का धरती पर जन्म हुआ है, उसी दिन से इतिहास और सभ्यता शुरू हो जाती है, भारत के प्राचीन ग्रंथो के अनुसार पृथ्वी के प्रथम मनुस्य के रूप में ईश्वर ने मनु को बनाया और उनके ही शरीर से सतरूपा का जन्म हुआ, और बाकि की सृस्टि उनके ही द्वारा रची गए है, अलग अलग समय और स्थान के अनुसार मनुस्यो की प्रकृति और विचार रहे।
आज के वैज्ञानिक युग में एक बड़े वैज्ञानिक वर्ग का मानना है की पृथ्वी की रचना सूर्य से अलग होकर हुयी है, और उसी के अनुसार जीवो की उत्पत्ति हुयी है, इसे हमारे धर्म ग्रंथो ने बड़ी ही सहजता से बताया है, वो भी सृस्टि के पालन करता विष्णु भगवान के उदाहरण से, भारत के प्राचीन वैदिक ग्रन्थ और पुराण भगवान् विष्णु के १० अवतारों का वर्णन करते है और उनका ही एक रूप आज के वैज्ञानिक मानते है।
वैज्ञानिक कहते है अबसे पहले पृथ्वी ठंडी हुयी और इसमें ऐसे जीवो का जन्म हुआ जो सिर्फ जल में रह सकते थे, ये हुआ भगवन का मछली रूप का अवतार, फिर ऐसे जीव हुए जो जल और थल में भी रह सकते थे, ये हुआ कूर्म अवतार, फिर ऐसे जीव हुए जो थल में रहते थे, ये हुआ सूकर अवतार, इसके बाद ऐसे जीव बने हो की कुछ कुछ अनुस्यो जैसे थे और ज्यादातर काम पशुओ जैसे थे, मतलब कच्चा मांस खाने बाले जीव, ये है भगवान का नरसिंह अवतार, फिर जो जीव हुए है वो मानव के समान तो थे अपर अलप विकसित थे, ये हुए वामन अवतार, इसके बाद ऐसे जीव हुए जो घुमन्तु थे, खानाबदोश किन्तु जानवरो का पालन करने लगे, ये परशुराम अवतार, इसके बाद जो मानव हुए वो द्वेष मुक्त सभ्यता से पूर्ण थे, जो की हम भगवान् राम के रूप में देखते है, इसके बाद मनुस्य कुछ कुछ स्वार्थी हुआ जो धन मान और स्त्री के लिए आपस में लड़ने लगा, ये द्वापर युग में भगवन कृष्ण का काल का मानव था, और जैसे जैसे सभ्यता बढ़ती गयी मानव वैसा बनता गया, भले ही वैज्ञनिक इसको नकार दे परंतु जो वो खोज रहे है इतिहास से हमे पता है।
भारत में मौर्य साम्राज्य का इतिहास
मौर्य सम्राट | वर्ष |
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चंद्रगुप्त | 322-298 BCE |
बिन्दुसारा | 298-272 BCE |
अशोक | 268-232 BCE |
दशरथ | 232-224 BCE |
संप्रति | 224-215 BCE |
शालीशूका | 215-202 BCE |
देववर्मन | 202-195 BCE |
शताधानन | 195-187 BCE |
ब्रह्द्रथ | 187-185 BCE |
भारत के इतिहास में आर्यों की उत्पत्ति
भारत की आजादी के बाद से और उसके पहले भी राष्ट्रवादियो का इतिहास लेखन इस देश की सत्ता ने कभी भी प्रामाणिक नहीं माना, उसका कारण था राष्ट्रवादियो का अपने देश और इसकी सभ्यता से प्रेम, इस प्रेम के चलते उन्होंने प्रत्येक श्रेष्ठ चीज को भारत भूमि और वैदिक संस्कृति का हिस्सा बताया, जो की न तो मुगल शासको को पसन्द आया और न ही अंग्रेजी शासको को यहाँ तक आज़ादी के बाद अपने देश के लोकतान्त्रिक शासको को भी पसन्द नहीं आया।
है जिन लेखको ने भारत की सभ्यता और संस्कृति का जितना उपहास उड़ाया या इसके वेद और पुराणों जितना ज्यादा काल्पनिक और कपोल कल्पित प्रामाणिक करने की कोशिश की उस इतिहास लेखक को उतना ही प्रामाणिक मान लिया गया, इस कर्म कोम्मुनिस्ट और अंग्रेजो और मुगलो के भक्त लोगो का तत्कालीन शासको का संरक्छण भी मिला और प्रोत्साहन, इसी कारन उनके अनुसार आर्यो को अन्य भोगोलिक वातावरण से आया हुआ मान कर उनके सबसे पहला आक्रमणकारी माना जाता है।
भारत में मराठा साम्राज्य का इतिहास
मराठा सम्राट | वर्ष |
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शिवाजी (प्रथम) | 1674-1680 |
राजा प्रताप सिंह, सातारा के राजा (अंतिम) | 1808-1818 |
मोरोपंत पिंगले (प्रथम) | 1674-1689 |
बाजी राव द्वितीय (अंतिम) | 1803-1818 |
भारत के इतिहास में आर्यो का उदय
आर्य कोई जाती नहीं है, और न ही ये विदेशी लुटेरे है, क्योंकि जिस सभ्यता और भाषा का उदय भारत के भूभाग में हुआ दुनिया के किसी भी अन्य भाग में नहीं है, और न ही शारीरिक संरचना, इसलिए आर्य मूलतः भारत के ही निवासी है।
आर्य शब्द का अर्थ होता है श्रेष्ठ, यानी की बाकि लोगो में जो बुध्दि या अन्य गुणों में श्रेष्ठ हो उसे हम आर्य कह सकते है, मानव सभ्यता के बाद एक लंबे समय तक सबका जीवन एक खानाबदोश की तरह चल रहा था, लोग निर्णय नहीं ले पा रहे थे की क्या करना है, कैसे करना है, क्यों करना है, कितना करना है, किसके साथ करता है, पूरा दिन क्या क्या किया जाये , क्योंकि उस काल में सिर्फ दो ही काम मुख्य था, खेती करना और पशु पालन, और ये दोनों काम ६ से ८ घण्टे में हो जाते थे, अब बाकी के दिन में क्या करे, कितना सोये, किस विषय पर चर्चा हो, इस तरह की बाते, उस समुदाय के कुछ बुद्दिजीवी लोगो ने सोची और एक जीवन शैली का निर्माण किया, सबसे पूछ गया होगा की तुम क्या काम करोगे, और उसके अनुसार उनको काम बाँट दिए गए होंगे, फिर उस काम को उसके बच्चो ने भी किया होगा, धीरे धीरे एक परिवार एक काम की अवधारणा बन गयी होगी, और वो परिवार उस काम को अपना अधिकार मानाने लगा होगा तो उस काम को करने बाले को एक विशिस्ट नाम दिया गया होगा, और ये सब उस समय के कुछ लोगो ने ही निर्णय लिया होगा, अब प्रश्न ये उठा होगा की ये सब कुछ विधान बनाने बाले को क्या कहा जाये तो सर्व सम्मति से उनको आर्य कहा जाने लगा, और जो परिवार जिस व्यवसाय में लग गया वही उसकी पहचान बनता गया, और जिन लोगो ने पुरे समुदाय का नीति निर्धारण का जिम्मा लिया या उनको अपने संगठित बनाये रखा उनको ही आर्य कहा जाने लगा।
मुगलों का भारत में इतिहास
सम्राट | जन्म | शासन काल | मृत्यु |
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बाबर | 23 फरवरी 1483 | 1526-1530 | 30 दिसंबर 1530 |
हुमायूं | 6 मार्च 1508 | 1530-1540 | जनवरी 1556 |
शेर शाह सूरी | 1472 | 1540-1545 | मई 1545 |
इस्लाम शाह सूरी | सी। 1500 | 1545-1554 | 1554 |
हुमायूं | 6 मार्च 1508 | 1555-1556 | जनवरी 1556 |
हेमचंद्र विक्रमादित्य | अनजान | 1556 | 1556 |
अकबर | 14 नवंबर 1542 | 1556-1605 | 27 अक्टूबर 1605 |
जहांगीर | अक्टूबर 1569 | 1605-1627 | 1627 |
शाहजहाँ | 5 जनवरी 15 9 2 | 1627-1658 | 1666 |
औरंगजेब | 21 अक्टूबर 1618 | 1658-1707 | 3 मार्च 1707 |
बहादुर शाह I | 14 अक्टूबर 1643 | 1707-1712 | फ़रवरी 1712 |
जानदार शाह | 1664 | 1712-1713 | फरवरी 1713 |
फरुख्शीयार | 1683 | 1713-171 9 | 1719 |
रफी उल-दरजात | अनजान | 1719 | 1719 |
रफी उदा-दौलत | अनजान | 1719 | 1719 |
निकूसियार | अनजान | 1719 | 1743 |
मुहम्मद इब्राहिम | अनजान | 1720 | 1744 |
मुहम्मद शाह | 1702 | 1719-1720, 1720-1748 | 1748 |
अहमद शाह बहादुर | 1725 | 1748-54 | 1775 |
आलमगीर द्वितीय | 16 99 | 1754-175 9 | 1759 |
शाहजहां III | अनजान | 1759 में | 1772 |
शाह आलम II | 1728 | 1759-1806 | 1806 |
अकबर शाह द्वितीय | 1760 | 1806-1837 | 1837 |
बहादुर शाह द्वितीय | 1775 | 1837-1857 | 1862 |
भारतीय इतिहास में राष्ट्रवादी लेखको का आर्यो के प्रति विचार
बालगंगाधर तिलक, आर्य समाज के संथापक दयानंद सरस्वती, महर्षि अरविन्द घोष, विवेक नन्द और राजा राम मोहन राय इन सभी ने अपने अध्यन के आधार पर यही निष्कर्ष निकाला है की आर्य ही भारत की मूल जाती है, और जिन लोगो ने उस समय उनके बनाये विधान को नहीं माना और अतिजागृक होने के कारन अपना एक अलग ही विधान बनाये रखा आज वही लोग आदिवासीओ का जीवन जी रहे है।
Timeline of Indian History Before 1857 to 1947 in Hindi
वंश | गुलाम |
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1 | 1193 मुहम्मद गौरी |
2 | 1206 कुतुबुद्दीन ऐबक |
3 | 1210 आराम शाह |
4 | 1211 इल्तुतमिश |
5 | 1236 रुकनुद्दीन फिरोज शाह |
6 | 1236 रज़िया सुल्तान |
7 | 1240 मुईज़ुद्दीन बहराम शाह |
8 | 1242 अल्लाउदीन मसूद शाह |
9 | 1246 नासिरुद्दीन महमूद |
10 | 1266 गियासुदीन बल्बन |
11 | 1286 कै खुशरो |
12 | 1287 मुइज़ुदिन कैकुबाद |
13 | 1290 शमुद्दीन कैमुर्स |
14 | 1290 गुलाम वंश समाप्त् |
वंश | खिलजी |
1 | 1290 जलालुदद्दीन फ़िरोज़ खिलजी |
2 | 1296 अल्लाउदीन खिलजी |
3 | 1316 सहाबुद्दीन उमर शाह |
4 | 1316 कुतुबुद्दीन मुबारक शाह |
5 | 1320 नासिरुदीन खुसरो शाह |
6 | 1320 खिलजी वंश स्माप्त |
वंश | तुगलक |
1 | 1320 गयासुद्दीन तुगलक प्रथम |
2 | 1325 मुहम्मद बिन तुगलक दूसरा |
3 | 1351 फ़िरोज़ शाह तुगलक |
4 | 1388 गयासुद्दीन तुगलक दूसरा |
5 | 1389 अबु बकर शाह |
6 | 1389 मुहम्मद तुगलक तीसरा |
7 | 1394 सिकंदर शाह पहला |
8 | 1394 नासिरुदीन शाह दुसरा |
9 | 1395 नसरत शाह |
10 | 1399 नासिरुदीन महमद शाह दूसरा दुबारा सता पर |
11 | 1413 दोलतशाह |
12 | 1414 तुगलक वंश समाप्त |
वंश | सैय्यद |
1 | 1414 खिज्र खान |
2 | 1421 मुइज़ुदिन मुबारक शाह दूसरा |
3 | 1434 मुहमद शाह चौथा |
4 | 1445 अल्लाउदीन आलम शाह |
5 | 1451 सईद वंश समाप्त |
वंश | लोदी |
1 | 1451 बहलोल लोदी |
2 | 1489 सिकंदर लोदी दूसरा |
3 | 1517 इब्राहिम लोदी |
4 | 1526 लोदी वंश समाप्त |
वंश | मुगल |
1 | 1526 ज़ाहिरुदीन बाबर |
2 | 1530 हुमायूं |
3 | 1539 मुगल वंश मध्यांतर |
वंश | सूरी |
1 | 1539 शेर शाह सूरी |
2 | 1545 इस्लाम शाह सूरी |
3 | 1552 महमूद शाह सूरी |
4 | 1553 इब्राहिम सूरी |
5 | 1554 फिरहुज़् शाह सूरी |
6 | 1554 मुबारक खान सूरी |
7 | 1555 सिकंदर सूरी |
वंश | मुगल वंश पुनःप्रारंभ |
1 | 1555 हुमायू दुबारा गाद्दी पर |
2 | 1556 जलालुदीन अकबर |
3 | 1605 जहांगीर सलीम |
4 | 1628 शाहजहाँ |
5 | 1659 औरंगज़ेब |
6 | 1707 शाह आलम पहला |
7 | 1712 जहादर शाह |
8 | 1713 फारूखशियर |
9 | 1719 रईफुदु राजत |
10 | 1719 रईफुद दौला |
11 | 1719 नेकुशीयार |
12 | 1719 महमूद शाह |
13 | 1748 अहमद शाह |
14 | 1754 आलमगीर |
15 | 1759 शाह आलम |
16 | 1806 अकबर शाह |
17 | 1837 बहादुर शाह जफर |
18 | 1857 मुगल वंश समाप्त |
वाइसरॉय | ब्रिटिश राज |
1 | 1858 लॉर्ड केनिंग |
2 | 1862 लॉर्ड जेम्स ब्रूस एल्गिन |
3 | 1864 लॉर्ड जहॉन लोरेन्श |
4 | 1869 लॉर्ड रिचार्ड मेयो |
5 | 1872 लॉर्ड नोर्थबुक |
6 | 1876 लॉर्ड एडवर्ड लुटेनलॉर्ड |
7 | 1880 लॉर्ड ज्योर्ज रिपन |
8 | 1884 लॉर्ड डफरिन |
9 | 1888 लॉर्ड हन्नी लैंसडोन |
10 | 1894 लॉर्ड विक्टर ब्रूस एल्गिन |
11 | 1899 लॉर्ड ज्योर्ज कर्झन |
12 | 1905 लॉर्ड गिल्बर्ट मिन्टो |
13 | 1910 लॉर्ड चार्ल्स हार्डिंज |
14 | 1916 लॉर्ड फ्रेडरिक सेल्मसफोर्ड |
15 | 1921 लॉर्ड रुक्स आईजेक रिडींग |
16 | 1926 लॉर्ड एडवर्ड इरविन |
17 | 1931 लॉर्ड फ्रिमेन वेलिंग्दन |
18 | 1936 लॉर्ड एलेक्जंद लिन्लिथगो |
19 | 1943 लॉर्ड आर्किबाल्ड वेवेल |
20 | 1947 लॉर्ड माउन्टबेटन |