हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश भारत देश का एक हिमाच्छदित पर्वतीय राज्य है, वैसे भी हिमाचल का अगर शाब्दिक अर्थ निकल जाये तो इसका अर्थ भी हिम निवास ही नकलता है, हिमाचल प्रदेश के उत्तर में जम्मू – कश्मीर है, पश्चिम में पंजाब और हरियाणा है, दक्षिण पूर्व में उत्तराखंड है।

हिमाचल प्रदेश के अक्षांस और देशांतर ३१ डिग्री ६ मिनट उत्तर से ७७ डिग्री १० मिनट पूर्व तक है, हिमाचल प्रदेश का गठन क्षेत्रीयता के आधार पर २५ जनवरी १९७१ में किया गया था, हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला गर्मियो में और धर्मशाला सर्दियो में रही है, शिमला ही हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा शहर भी है।

हिमाचल प्रदेश का क्षेत्रफल ५५६७३ वर्ग किलोमीटर है, और क्षेत्रफल में इसका देश में स्थान १८वा है, समुद्र तल से ऊंचाई २३१९ मीटर है, २०११ की जनगणना के अनुसार यहाँ की जनसँख्या ६८६४६०२ है और जनसँख्या के आधार पर देश में इसका स्थान २१वा है, जनसँख्या धनत्व हिमाचल प्रदेश का १२३ व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। हिमाचल प्रदेश में १२ जिले है।

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर BJP से है और राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय जो की १ सितंबर को बनाए गए है, उसके पहले कलराज मिश्र थे है, हिमाचल प्रदेश की साक्षरता ८२.८०% है और ९9७ महिलाये प्रति १००० पुरुषो पर है, यहाँ पर हिंदी, पंजाबी, नेपाली, किन्नौरी और अन्य भाषाएँ बोली जाती है.

हिमाचल प्रदेश के महत्वपूर्ण तथ्य

राज्य हिमाचल प्रदेश
राज्यपाल Shri Shiv Pratap Shukla
मुख्यमंत्री Sukhvinder Singh Sukhu (INC)
उप मुख्यमंत्री NA
आधिकारिक वेबसाइट http://himachal.nic.in/en-IN/
स्थापना का दिन 25 जनवरी 1971
क्षेत्रफल 55,673 वर्ग किमी
घनत्व 123 प्रति वर्ग किमी
जनसंख्या (2011) 6,864,602
पुरुषों की जनसंख्या (2011) 3,481,873
महिलाओं की जनसंख्या (2011) 3,382,729
शहरी जनसंख्या % में (2011) NA
जिले 12
राजधानी शिमला
उच्च न्यायलय हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट शिमला
जनसँख्या में स्थान [भारत में ] 21वा
क्षेत्रफल में स्थान [भारत में ] 18वा
धर्म सिख, हिन्दू, मुस्लिम, क्रिश्चियन, बौद्ध, जैन
नदियाँ रावी, ब्यास, चिनाब, सतलुज, यमुना
वन एवं राष्ट्रीय उद्यान पिन घाटी राष्ट्रीय उद्यान, ग्रेटर हिमालय नेशनल पार्क, रेणुका वन्यजीव अभयारण्य, चैल वन्यजीव अभयारण्य, कालाटोप खजियार वन्यजीव अभयारण्य
भाषाएँ हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी, किन्नौरी, पहाड़ी, कांगड़ी और डोगरी
पड़ोसी राज्य जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश
राजकीय पशु हिम तेंदुए
राजकीय पक्षी पश्चिमी ट्रागोपन
राजकीय वृक्ष देवदार
राजकीय फूल गुलाबी बुरांस
राजकीय नृत्य NA
राजकीय खेल NA
नेट राज्य घरेलू उत्पाद (2016) 110,511 INR
साक्षरता दर (2011) 82.80%
1000 पुरुषों पर महिलायें 976
सदन व्यवस्था एकसदनीय
विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र 68
विधान परिषद् सीटे NA
संसदीय निर्वाचन क्षेत्र 4
राज्य सभा सीटे 3

हिमाचल प्रदेश का नक्शा

हिमाचल प्रदेश का नक्शा गूगल मैप द्वारा निर्मित

हिमाचल प्रदेश का इतिहास

हिमाचल प्रदेश का इतिहास उस समय में ले जाता है जब सिन्धु घाटी सभ्यता विकसित हुई। इस बात की सत्यता के प्रमाण हिमाचल प्रदेश के विभिन्न भागों में हुई खुदाई में प्राप्त सामग्रियों से मिलते हैं। प्राचीनकाल में इस प्रदेश के आदि निवासी दास, दस्यु और निषाद के नाम से जाने जाते थे। जनवरी, 1948 ई. में शिमला हिल्स स्टेट्स यूनियन सम्मेलन सोलन में हुआ। 15 अप्रैल 1948 ई. को हिमाचल प्रदेश राज्य का निर्माण किया था। उस समय प्रदेश भर को चार जिलों में बांटा गया और पंजाब हिल स्टेट्स को पटियाला और पूर्व पंजाब राज्य का नाम दिया गया।

हिमाचल प्रदेश का पहनावा

हिमाचल प्रदेश का पहनावा (himachal pradesh ki veshbhusha) अपने आप में बहुत विशिस्ट है, यहाँ के पुरुष और महिलाये दोनों के पहनावे अलग अलग है (हिमाचल प्रदेश की वेशभूषा) और वे लोग तरह तरह के आभूषणों ने स्वयं को और अपने वस्त्रो को अलंकृत करते है, जैसे पुरुषो के परिधान में सबसे विशिस्ट है, इनके अपने अपने नाम भी है, जैसे गद्दियों का बना हुआ एक चोला होता है जिसे चोला-डोरा, या फिर ‘चोलू’ भी कहते है, यह वेशभूषा बहुत आकर्षक और विश्व प्रसिद्ध है क्युकी ये महिलाओ पर बहुत सुन्दर लगती है। (himachal pradesh ki poshak) दूसरी पोषक या पहनावा है चोला, ये मुख्यता एक लंबे कोट की भांति होता है, जो पूर्णतयाः देशी ऊन का बना होता है। कुल्लू और मध्य भाग के क्षेत्रों के पुरुष ‘दोहड़ू’ और स्त्रियां ‘ढियाठु’ पहनती हैं। ‘दोहड़ू’ विशेष प्रकार की भेड़ से निर्मित ऊन के द्वारा निर्मित एक प्रकार की चादर है, जो कमर के नीचे बांधी जाती है। ‘ढियाठु’ एक सुंदर सूती कपड़ा होता है, जो स्त्रियों द्वारा माथे पर बांधा जाता है। (dress of himachal pradesh) पुरुषों द्वारा पहनी जानी वाली कुल्लू टोपी भी बहुत प्रसिद्द है, इसकी ख्याति दूर दूर तक है और लोग इसे यहाँ से लेकर भी जाते है । कोटगढ़ और आसपास के क्षेत्र में स्त्रियां ‘रेजटा’ पहनती हैं। ‘रेजटा’ लंबा, बंद कोटनुमा पहनावा है, जो कंधों से पैरों तक शरीर को ढांपता है। शिमला जिला के लोग ‘बुशैहरी टोपी’ और कोटनुमा ‘लोइया’ पहनते हैं।

हिमाचल प्रदेश की भाषा

हिमाचल प्रदेश की भाषा अपने आप में थोड़ा अलग है, क्युकी ये एक हिंदी भाषी राज्य होने के साथ साथ एक पहाड़ी राज्य भी है, यहाँ की भाषा नेपाली मिश्रित पहाड़ी है और चुकी यहाँ पर दुनिआ भर से लोग आते है इसलिए यहाँ के लोग अंग्रेजी और हिंदी भी जानते है, और अपने दैनिक बोलचाल में हिंदी का भी खूब प्रयोग करते है, पहाड़ी भाषा का प्रयोग ये लोग किसी विशेष संदेश को एक दूसरे तक भेजने के लिए ही करते है।

हिमाचल प्रदेश का रहन सहन

हिमाचल प्रदेश का रेहन सहन (himachal pradesh ka rahan sahan) बहुत ही सदा और अनुशाषित है, यहाँ के लोग ज्यातर फल और मेवा खाते है क्युकी यही यहाँ का मुख्य उपज है, ये लोग लकड़ी के बने घरो में रहते है, क्युकी पहाड़ी क्षेत्र होने के कारन पहाड़ो के गिरने का भी रहता है और पक्के मकानों के गिरने से जन और धन दोनों की हनिया होती है, लकड़ी के माकन गिरने पर भी प्राण घाटी नहीं होते है।

हिमाचल प्रदेश का खान पान

हिमाचल प्रदेश के निवाशियो का खान पान बहुत ही सदा होता है, चुकी ये एक ठंडा प्रदेश है, इसलिए शरीर को गर्म रखने के लिए जंगली जानवरो का मांस भी खाते है, परन्तु ज्यातर लोग शाकाहरी होते है और मौशमी फलो का सेवन करते है, आज आधुनिक दौर में यहाँ के लोगो का भोजन भी और खान पान बदल गया है, जैसे लोगो का आना जाना होता है ये लोग भी वैसा ही खान पान करते है,

हिमाचल प्रदेश के त्योहार

हिमाचल प्रदेश में सभी धर्मो के त्योहारों को मनाया जाता है, परन्तु हिमाचल प्रदेश में कुछ विशेष त्यौहार भी है जो की लडरचा महोत्सव, खेप्पा महोत्सव, डूंगरी महोत्सव, मिंजर महोत्सव और शिवरात्रि मेला यहाँ के प्रमुख त्यौहार है

हिमाचल प्रदेश की संस्कृति

हिमाचल प्रदेश की संस्कृति भारत की संस्कृति का दर्पण है, यहाँ पर सभी प्रकार की भाषाएँ और धर्मो का समावेश है, जैसे प्रमुख भाषाओं में हिन्दी, काँगड़ी, पहाड़ी, पंजाबी और मंडियाली शामिल हैं। वैसे तो हिन्दू, बौद्ध और सिख यहाँ के प्रमुख धर्म हैं परन्तु पश्चिम में स्थित धर्मशाला, दलाई लामा की शरण स्थली है और ये उस से से है जब दलाई लामा को चीन से जीवन का भी उत्पन्न हो गया था।

Comments are closed.