बिजनौर जिला उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद मण्डल का एक जिला है, जिसका मुख्यालय बिजनौर शहर है, उत्तर प्रदेश सरकार चाहती है की बिजनौर को राष्ट्रिय राजधानी क्षेत्र में शामिल कर दिया जाये क्योंकि ये दिल्ली के काफी निकट है, बिजनोर जिला में कुल 2922 गांव है।
बिजनौर जिले का क्षेत्रफल ४०४९ वर्ग किलोमीटर और २०११ की जनगणना के अनुसार बिजनौर की जनसँख्या ३६८३८९६ और जनसँख्या घनत्व ९१० व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है, साक्षरता ७०.४३% और ९१३ महिलाये प्रति १००० पुरुषो पर है, तथा २००१ से २०११ के बीच जनसनलहय विकास दर १७.६४% है।
बिजनौर भारत में कहाँ है
बिजनौर उत्तर प्रदेश के उत्तरी भाग में है, जिला उत्तर प्रदेश में स्थित उत्तराखंड के जिलों की सीमाओं को स्पर्श करता हुआ एक जिला है, इसकी उत्तर पश्चिम से दक्षिण पूर्व की सीमाएं उत्तराखंड को स्पर्श करती है, इसके अक्षांश २९ डिग्री ३७ मिनट उत्तर से ७८ डिग्री १३ मिनट पूर्व तक है, समुद्र तल से बिजनौर की ऊंचाई २२५ मीटर है, बिजनौर जिले के आस पास के अन्य जिले इस प्रकार से है उत्तर में हरिद्वार जिला, पूर्व में नैनीताल जिला और उधमसिंह नगर जिला, दक्षिण में अमरोहा जिला और पश्चिम में मुजफ्फरनगर जिला ।
Information about Bijnor in Hindi
नाम | बिजनौर |
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राज्य | उत्तर प्रदेश |
क्षेत्र | 4049 वर्ग किमी।, |
बिजनौर की जनसंख्या | 115,381 |
अक्षांश और देशांतर | 29.4167 ° एन, 78.5167 ° ई |
बिजनौर के एसटीडी कोड | 1342 |
बिजनौर की पिन कोड | 246,701 |
उप विभाजनों की संख्या | Na |
तहसीलों की संख्या | बिजनौर, चांदपुर, धामपुर, नगीना, नजीबाबाद |
गांवों की संख्या | 1, बिजनौर, 557 के 2, चांदपुर, 491 3, धामपुर, 899। |
रेलवे स्टेशन | पास-बिजनौर रेल मार्ग स्टेशन 0 KM पास, खारी Jhalu रेल मार्ग स्टेशन 10 KM पास, बसी किरतपुर रेल मार्ग स्टेशन 14 किलोमीटर के पास, Haldaur रेल मार्ग स्टेशन के पास 18 KM |
बस स्टेशन | बस स्टेशन |
बिजनौर में एयर पोर्ट | मुजफ्फरनगर हवाई अड्डे के पास 52 किलोमीटर, देहरादून हवाई अड्डे के पास 116 km, पंतनगर हवाई अड्डे के पास 150 किलोमीटर, इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास 154 km |
बिजनौर में होटलों की संख्या | होटल पाम ग्रीन, क्लासिक बार Restorent, क्वालिटी रेस्टोरेंट |
डिग्री कॉलेजों की संख्या | आर बी डी लड़कियों के पीजी कॉलेज, कृष्णा कॉलेज, विवेक शिक्षा पार्क, S.P। डिग्री कॉलेज, चांदपुर, देवता MahaVidhyalaya Morna, बिजनौर, R.S.M। पीजी कॉलेज, धामपुर, बिजनौर, L.B.S.S.M। (P.G।) कॉलेज, GOHAWAR |
बिजनौर का नक्शा मानचित्र मैप
गूगल मैप द्वारा निर्मित बिजनौर का मानचित्र, इस नक़्शे में बिजनौर के महत्वपूर्ण स्थानों को दिखाया गया है
बिजनौर जिले में कितने गांव है
बिजनौर जिले में १४८१ गांव है जो की 5 तहसीलें में वितरित है
बिजनौर जिले में कितनी तहसील है
बिजनोर जिले में ५ तहसीलें है जिनके नाम इस प्रकार से है 1. बिजनोर 2. चांदपुर 3. धामपुर 4. नगीना 5. नजीबाबाद
बिजनौर का इतिहास
बिजनौर भारत के उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहरहै। हिमालय की उपत्यका मे स्थित बिजनौर को जहाँ एक ओर महाराजा दुष्यन्त, परमप्रतापी सम्राट भरत, परमसंत ऋषि कण्व और महात्मा विदुर की कर्मभूमि होने का गौरव प्राप्त है, अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त वैज्ञानिक डॉ॰ आत्माराम, भारत के प्रथम इंजीनियर राजा ज्वालाप्रसाद आदि की जन्मभूमि होने का सौभाग्य भी प्राप्त है। कालिदास का जन्म भले ही कहीं और हुआ हो, किंतु उन्होंने इस जनपद में बहने वाली मालिनी नदी को अपने प्रसिद्ध नाटक ‘अभिज्ञान शाकुन्तलम्’ का आधार बनाया।
अकबर के नवरत्नों में अबुल फ़जल और फैज़ी का पालन-पोषण बास्टा के पास हुआ। उर्दू साहित्य में भी जनपद बिजनौर का गौरवशाली स्थान रहा है। क़ायम चाँदपुरी को मिर्ज़ा ग़ालिब ने भी उस्ताद शायरों में शामिल किया है। नूर बिजनौरी जैसे विश्वप्रसिद्ध शायर इसी मिट्टी से पैदा हुए। महारानी विक्टोरिया के उस्ताद नवाब शाहमत अली भी मंडावर के निवासी थे, जिन्होंने महारानी को फ़ारसी की तालीम दी। हिंदी-ग़ज़लों के शहंशाह दुष्यंत कुमार भी बिजनौर की धरती की देन हैं। युवा शायर निखिल कुमार राजपूत जी की प्रथम ग़ज़ल भी इसी भूमि की देन है !
बुद्धकालीन भारत में भी चीनी यात्री ह्वेनसांग ने छह महीने मतिपुरा (मंडावर) में व्यतीत किए। हर्षवर्धन के बाद राजपूत राजाओं ने इस पर अपना अधिकार किया। पृथ्वीराज और जयचंद की पराजय के बाद भारत में तुर्क साम्राज्य की स्थापना हुई। उस समय यह क्षेत्र दिल्ली सल्तनत का एक हिस्सा रहा। तब इसका नाम ‘कटेहर क्षेत्र’ था। कहा जाता है कि सुल्तान इल्तुतमिश स्वयं साम्राज्य-विरोधियों को दंडित करने के लिए यहाँ आया था। मंडावर में उसके द्वारा बनाई गई मस्ज़िद आज तक भी है। औरंगजेब के शासनकाल में जनपद पर अफ़गानों का अधिकार था। ये अफ़गानिस्तान के ‘रोह’ कस्बे से संबंधित थे अत: ये अफ़गान रोहेले कहलाए और उनका शासित क्षेत्र रुहेलखंड कहलाया।
नजीबुद्दौला प्रसिद्ध रोहेला शासक था, जिसने ‘पत्थरगढ़ का किला’ को अपनी राजधानी बनाया। बाद में इसके आसपास की आबादी इसी शासक के नाम पर नजीबाबाद कहलाई। रोहेलों से यह क्षेत्र अवध के नवाब के पास आया, जिसे सन् 1801 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने ले लिया। प्रसिद्ध क्रांतिकारियों चंद्रशेखर आज़ाद, पं॰ रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाक़ उल्लाह खाँ, रोशनसिंह ने पैजनिया में शरण लेकर बि्रटिश सरकार की आँखों में धूल झोकी। चौधरी चरण सिंह के साथ शिक्षा ग्रहण करने वाले बाबू लाखन सिंह ढाका ने आजादी की लड़ाई में अपनी आखिरी साँस तक लगा दी जिसके लिए वे ताम्र पत्र के लिए चयन किये गए। उनका जन्म माहेश्वरी-जट नामक एक गांवमें हुआ था। बिजनौर का पानी भारत का सबसे सुद्ध पानी माना जाता है
दारानगर महाभारत का युद्ध आरंभ होनेवाला था, तभी कौरव और पांडवों के सेनापतियों ने महात्मा विदुर से प्रार्थना की कि वे उनकी पत्नियों और बच्चों को अपने आश्रम में शरण प्रदान करें। अपने आश्रम में स्थान के अभाव के कारण विदुर जी ने अपने आश्रम के निकट उन सबके लिए आवास की व्यवस्था की। आज यह स्थल ‘दारानगर’ के नाम से जाना जाता है। संभवत: महिलाओं की बस्ती होने के कारण इसका नाम दारानगर पड़ गया।सेंदवार चाँदपुर के निकट स्थित गाँव ‘सेंदवार’ का संबंध भी महाभारतकाल से जोड़ा जाता है, जिसका अर्थ है सेना का द्वार।
जनश्रुति है कि महाभारत के समय पांडवों ने अपनी छावनी यही बनाई थी। गाँव में इस समय भी द्रोणाचार्य का मंदिर विद्यमान है। पारसनाथ का किला बढ़ापुर से लगभग चार किलोमीटर पूर्व में लगभग पच्चीस एकड़ क्षेत्र में ‘पारसनाथ का किला’ के खंडहर विद्यमान हैं। टीलों पर उगे वृक्षों और झाड़ों के बीच आज भी सुंदर नक़्क़ाशीदार शिलाएँ उपलब्ध होती हैं। इस स्थान को देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि इसके चारों ओर द्वार रहे होंगे। चारो ओर बनी हुई खाई कुछ स्थानों पर अब भी दिखाई देती है।
आजमपुर की पाठशाला चाँदपुर के पास बास्टा से लगभग चार किलोमीटर दूर आजमपुर गाँव में अकबर के नवरत्नों में से दो अबुल फ़जल और फैज़ी का जन्म हुआ था। उन्होंने इसी गाँव की पाठशाला में शिक्षा प्राप्त की थी। अबुल फ़जल और फैज़ी की बुद्धिमत्ता के कारण लोग आज भी पाठशाला के भवन की मिट्टी को अपने साथ ले जाते हैं। ऐसा विश्वास है कि इस स्कूल की मिट्टी चाटने से मंदबुद्धि बालक भी बुद्धिमान हो जाते हैं।मयूर ध्वज दुर्ग चीनी यात्री ह्वेनसांग के अनुसार जनपद में बौद्ध धर्म का भी प्रभाव था। इसका प्रमाण ‘मयूर ध्वज दुर्ग’ की खुदाई से मिला है। ये दुर्ग भगवान कृष्ण के समकालीन सम्राट मयूर ध्वज ने नजीबाबाद तहसील के अंतर्गत जाफरा गाँव के पास बनवाया था। गढ़वाल विश्वविद्यालय के पुरातत्त्व विभाग ने भी इस दुर्ग की खुदाई की थी।
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Vinesh Kumar