जम्मू कश्मीर मूल राज्य को ५ अगस्त २०१९ को महामहिम राष्ट्रपति के आदेश पर २ केंद्र शासित राज्यों में बाँट दिया गया है, जिसमे एक जम्मू-कश्मीर है जिसमे दिल्ली की तरह विधान सभा होगी और दूसरा इसका पडोशी केंद्र शासित राज्य लद्दाक है। पढ़िए और जानिए कश्मीरी पंडितों का दर्द
यहाँ के १३वें एवं अंतिम राज्यपाल श्री सत्यपाल मलिक थे, उनके बाद २९ अक्टूबर को गिरीश चंद्र मुर्मू (Till 7th Aug 2020) को यहाँ का राज्यपाल नियुक्त किया गया, यह १९८५ बेच के गुजरात केडर के आईएएस अधिकारी है।
जम्मू और कश्मीर के महत्वपूर्ण तथ्य
राज्य | जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) |
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राज्यपाल | मनोज सिन्हा (७ अगस्त २०२० ) |
मुख्यमंत्री | NA |
उप मुख्यमंत्री | NA |
आधिकारिक वेबसाइट | https://jk.gov.in/jammukashmir/ |
स्थापना का दिन | 26 अक्टूबर 1947(5th Aug 2019 as UT) |
क्षेत्रफल | 42,241 km2 (16,309 sq mi) |
घनत्व | 290/km2 (750/sq mi) |
जनसंख्या (2011) | 12,258,433 |
पुरुषों की जनसंख्या (2011) | 6,640,662 |
महिलाओं की जनसंख्या (2011) | 5,900,640 |
शहरी जनसंख्या % में (2011) | NA |
जम्मू कश्मीर के जिले | 20 |
राजधानी | (सर्दियों में) जम्मू और (गर्मियों में) श्रीनगर |
उच्च न्यायलय | जम्मू एंड कश्मीर हाई कोर्ट श्रीनगर |
जनसँख्या में स्थान [भारत में ] | 19वा |
क्षेत्रफल में स्थान [भारत में ] | 14वा |
धर्म | सिख, हिन्दू, मुस्लिम, क्रिश्चियन, बौद्ध, जैन |
नदियाँ | झेलम, इंडस, तवी, रावी और चिनाब |
वन एवं राष्ट्रीय उद्यान | चिनाब, झेलम, सिंधु, जांस्कर, सुरु, नुब्रा, श्योक |
भाषाएँ | हिंदी, उर्दू, पंजाबी, डोगरी, कश्मीरी, बाल्टी, लद्दाखी, पुरीग, गुरजी, दादरी |
पड़ोसी राज्य | हिमाचल प्रदेश, पंजाब |
राजकीय पशु | हंगुल |
राजकीय पक्षी | क्रेन काली गर्दन वाला |
राजकीय वृक्ष | चिनार |
राजकीय फूल | कमल |
राजकीय नृत्य | दुमहला |
राजकीय खेल | NA |
नेट राज्य घरेलू उत्पाद (2011) | 37496 (USD) |
साक्षरता दर (2011) | 67.60% |
1000 पुरुषों पर महिलायें | 883 |
सदन व्यवस्था | द्विसदनीय |
विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र | 87 |
विधान परिषद् सीटे | 36 |
संसदीय निर्वाचन क्षेत्र | 6 |
राज्य सभा सीटे | 4 |
जम्मू और कश्मीर का नक्शा
जम्मू और कश्मीर का गूगल द्वारा निर्मित जम्मू कश्मीर का नक्शा
जम्मू और कश्मीर का इतिहास
जम्मू और कश्मीर का इतिहास अति प्राचीन काल से आरंभ होता है। राजतरंगिणी, जो कल्हण द्वारा 12वीं शताब्दी ई. में लिखा गया था। तब तक यहां पूर्ण हिन्दू राज्य रहा था।
यह अशोक महान के साम्राज्य का हिस्सा भी रहा। लगभग तीसरी शताब्दी में अशोक का शासन रहा था। तभी यहां बौद्ध धर्म का आगमन हुआ, जो आगे चलकर कुषाणों के अधीन समृध्द हुआ था।
उज्जैन के महाराज विक्रमादित्य के अधीन छठी शताब्दी में एक बार फिर से हिन्दू धर्म की वापसी हुई।यहां महाभारत युग के गणपतयार और खीर भवानी मन्दिर आज भी मिलते हैं। गिलगिट में पाण्डुलिपियां हैं, जो प्राचीन पाली भाषा में हैं। उसमें बौद्ध लेख लिखे हैं। त्रिखा शास्त्र भी यहीं की देन है।
यह कश्मीर में ही उत्पन्न हुआ। इसमें सहिष्णु दर्शन होते हैं। चौदहवीं शताब्दी में यहां मुस्लिम शासन आरंभ हुआ। उसी काल में फारस से से सूफी इस्लाम का भी आगमन हुआ। यहां पर ऋषि परम्परा, त्रिखा शास्त्र और सूफी इस्लाम का संगम मिलता है, यह अकबर का शासन काल था। मुगल साम्राज्य के विखंडन के बाद यहां पठानों का कब्जा हुआ।
यह काल यहां का काला युग कहलाता है। फिर १८१४ में पंजाब के शासक महाराजा रणजीत सिंह द्वारा पठानों की पराजय हुई, व सिख साम्राज्य आया।महाराजा गुलाब सिंह को गद्दी दी गई जो कश्मीर का स्वतंत्र शासक बना। गिलगित एजेन्सी अंग्रेज राजनैतिक एजेन्टों के अधीन क्षेत्र रहा।
कश्मीर क्षेत्र से गिलगित क्षेत्र को बाहर माना जाता था। अंग्रेजों द्वारा जम्मू और कश्मीर में पुन: एजेन्ट की नियुक्ति हुई। महाराजा गुलाब सिंह के सबसे बड़े पौत्र महाराजा हरि सिंह 1925 ई. में गद्दी पर बैठे, जिन्होंने 1947 ई. तक शासन किया।