एटा की दक्षिणी सीमा पर मैनपुरी व फिरोजाबाद जिले, पश्चिमी सीमा पर हाथरस जिला, उत्तरी सीमापर कासगंज जिला हैं। तहसील का क्षेत्रफल 1233.05 वर्गकिमी है। तहसील में 4 विकासखंड हैं। इनमें मारहरा विकासखंड का क्षेत्रफल 198.18 वर्गकिमी, निधौलीकलां विकासखंड का 348.74, शीतलपुर का 312.05 वर्गकिमी तथा सकीट का 392.52 वर्गकिमी क्षेत्रफल है। तहसील में सोंहार, सकीट व मारहरा- 3 परगने हैं। एटा तहसील में कोतवाली नगर, कोतवाली देहात, सकीट, मलावन, बागवाला, सकीट, रिजोर, निधौलीकलां, पिलुआ, मिरहची, मारहरा- कुल 10 पुलिस थाने तथा 1 महिला थाना हैं। Read latest etah news in hindi
Facts about Etah UP
Name | Etah |
State | Uttar Pradesh |
Area | 1,761,152 |
Population of Etah | 131,023 |
Latitude and Longitude | 27.55809 and78.66347 |
STD code of Etah | 05742 |
Pin Code of Etah | 207001 |
Member of parliament | Kalyan Singh,Rajveer Singh, |
MLA | Rajveer Singh |
Number of Subdivisions | Na |
Number of Tehsils | Aliganj, Etah, Jalesar |
Number of Villages | Aliganj – 244, Etah – 494, Jalesar – 154& |
Railway Station | Etah-Tundla Passenger, |
Bus Station | yes |
Air Port in Etah | near 97km Agra Airport |
Number of Hotels in Etah | Hotel Sameer Plaza, Sainik Rest House ,M/S Hotel Indraprasth ,Gest House |
Number of degree Colleges | More than Five |
Number of Inter Colleges | More than five |
Number of Medical Colleges | Colleges near-Budaun, Aligarh, Hathras, Firozabad, Mainpuri |
Number of Engineering Colleges | Colleges near-Budaun, Aligarh, Hathras, Firozabad, Mainpuri |
Computer Centers in Etah | NIIT, Maxcom Institute Of Computer E… ,Dolphin Education And Welfare …,Professional Training Institute ,Jamboking Institute Of Compute… ,National Computer College ,New tech Computer Institute, Aryan Infotech Pvt Ltd ,Chintpurna Jan Kalyan Siksha S… ,Hitech Institute Of India ,ACL Computers ,Vict Computer Solution ,Azam Computer Institute ,Divya Computer Education ,Computer Taning Center |
Malls in Etah | na |
Hospitals in Etah | Shri Hari BAL Chikitsalay, J P Hospital & Maternity Home , Dr Harish Surgical Clinic ,Rama Nurshing Home , Prachi Clinic ,Thathes Clinic |
Marriage Halls in Etah | Om Vivah Stahal,Gangaram Marriage Home,Malka Marriage Home, |
River(s) | Burhi Ganga |
High Way(s) | National Highway 91 |
Elevation | 170 metres (558 feet) |
Density | 636 people per km2. |
Offical Website | http://etah.nic.in/ |
Literacy rate | 85.62% |
Banks | State Bank Of India, ICICI Bank Ltd , State Bank Of India Customer Care , HDFC Bank Ltd ,Axis Bank Ltd ,Canara Bank, Etah, UttarPardesh, Oriental Bank Of Commerce ,Gramin Bank Of Aryavart ,Punjab National Bank ,Bank Of Baroda ,Central Bank Of India ,Uco Bank,Syndicate Bank ,Bank Of India ,Union Bank Of India ,Aryavart Gramin Bank ,Allahabad Bank ,United Bank Of India Etah ,Etah ,District Co-Op. Bank Ltd. |
Famous Leader(s) | Wajahat Mirza · S.Ali Raza · Javed Siddiqi, film script writer; K. P. Saxena, |
Politcal Parties | BJP ,SP,BSP,MD |
RTO Code | UP 82 |
aadar card center | 5 |
Major Exportable Item | Na |
Local Transport | Car, Train, Bus & Taxi. |
Media | News Paper, Rural/Urban Having Radio, Transistor, Media, Television |
Growth | 13.62% |
Travel Destinations | Sufi Sant Hazrat Abdul Gafoor Shah’S Dargaah, Bada Jain Mandir, Kailash Mandir, Kaali Mandir, Janta Durga Mandir, Pathwari Mandir etc. |
Commissioner | _ |
Social activist | _ |
एटा का इतिहास
एटा, इसे पृथ्वीराज चौहान के सरदार राजा संग्राम सिंह ने बसाया था। इसने एटा में एक सुदृढ़ मिट्टी का दुर्ग बनवाया था जिसके खंडहर आज भी मौजूद हैं। अतः स्वाभाविक था कि शासन इस भूराजस्व की उगाही के लिए एक ऐसी पद्वति का विकास करते जिससे उनके राजस्व-प्राप्ति के प्रयास सुसंगत व सुव्यवस्थित हों।
एटा जिला के निर्माण की कहानी 1757ई0 में हुए प्लासी युद्ध के बाद बंगाल का राज्य हथिया लेने के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशकों ने अपनी हड़प नीति को और बढ़ावा देने के लिए कूटनीतिक प्रयत्न करने आरम्भ कर दिये। इन प्रयत्नों के तहत सबसे पहले उन्होंने अवध को दिल्ली की बादशाहत से पृथक कर उसे स्वतंत्र बादशाह की मान्यता दी। फिर उसे राज्य वृद्धि का लालच देकर रूहेलों की शक्ति कम करने के काम में लगा दिया। इस भिड़त में अवध ने मराठाओं व अंगरेजी सेनाओं का भी सहयोग लिया तथा फरूखाबाद के तत्कालीन बंगश नबाव को दबाकर उससे युद्ध-व्यय के नाम पर उसके करीब 31 परगने छीन अपने राज्य में मिला लिये। साथ ही नबाव फरूखाबाद को मराठा सेनाओं को अवध द्वारा दी जानेवाली राशि भी देने को सहमत होना पड़ा।
इस व्यवस्था का परिणाम हुआ कि मराठा जिले के जलेसर-मारहरा परगनों से लेकर इस क्षेत्र के समस्त भूभाग के स्वामी बन गये। इधर इस व्यवस्था से अपने लिए कोई लाभ न होता देख अंगरेजों ने अपने सैन्य-व्यय की प्रतिपूर्ति के लिए अवध द्वारा नबाव फरूखाबाद से छीने भूभाग लेने के बाद उन्होंने फरूखाबाद के तत्कालीन बंगश नबाव इमदाद हुसैन पर एक निश्चित पेंशन राशि के एवज में राज्य को ईस्ट इंडिया कंपनी को सोंपने का दबाव डाला। नाबालिग नबाव इमदाद हुसैन द्वारा अंगरेजों के इस प्रस्ताव को अस्वीकार किये जाने के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी के तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड बंलेजली अपने भाई हेनरी बेलेजली को इस काम में लगाया।
इसने कूटनीति, धोखाधड़ी का सहारा ले पहले नबाव के अधिकारियों को दबाव में लिया। फिर 4 जून 1802 में बरेली में नबाव इमदाद हुसैन को अपने तथा अपने उत्तराधिकारियों के लिए 1 लाख 8 हजार वार्षिक पेंशन स्वीकार कर अपने राज्य को कंपनी को सौंपने को बाध्य कर दिया। नबाव का राज्य प्राप्त हो जाने के बाद भी इस क्षेत्र में भौगोलिक रूप से अंगरेजों को कोई खास लाभ नहीं हुआ। कारण, इटावा से लेकर कोल(अलीगढ़) तक के यहां के परगने व्यवहारिक रूप से बंगश या अवध के नबाव के अधीन नहीं मराठाओं के अधिकार में थे तथा उनके प्रतिनिधि एटा के अलीगंज तथा वर्तमान कन्नौज जिला मुख्यालय पर रह इन क्षेत्रों की व्यवस्थाएं संभालते थे।
वहीं कोल में सिंधिया की फ्रांसीसी सेनापति पेरां के अधीन एक आधुनिक सेना मौजूद थी जिसके व्यय के लिए जलेसर से सहारनपुर तक के परगने पेरां के अधीन किये गये थे। इस गतिरोध को तोड़ने के लिए अंगरेजी सेना के सेनापति लार्ड लेक ने 1802 में एक सैन्य अभियान किया। इसका प्रत्यक्ष उद्देश्य तो दिल्ली के बादशाह को पुनः दिल्ली के सिंहासन पर आरूढ़ करना था किन्तु छिपा उद्देश्य इस क्षेत्र से मराठा प्रभाव समाप्त करना था। इस अभियान में दौलतराव सिंधिया के फ्रांसीसी सेनापति पेरां के विश्वासघात के कारण मराठाओं को खासी क्षति उठानी पड़ी। उनके ये समस्त क्षेत्र अंगरेजों के अधिकार में आ गये।
1804ई में अंगरेजों द्वारा इस भूभाग पर अधिकार कर लेने के पश्चात यहां की भूराजस्व प्रणाली को बदले बिना इसे किसी डिस्ट्रिक्ट के हवाले कर तथा वहां कलेक्टर नियुक्त कर इस क्षेत्र के भूराजस्व की प्राप्ति के प्रयास किये। इसके अंतर्गत सबसे पहले उन्होंने इस समस्त भूभाग को इटावा, फरूखाबाद व इटावा के जिलों में शामिल कर कासगंज के छाबनी गांव में एक सैन्य छावनी स्थापित की। किन्तु इसे 1804 में वहां के विद्रोही जमींदारों ने जला डाला। इसी वर्ष 1 नबम्वर को दूसरे मराठा सेनापति यशवंतराव होल्कर ने इस क्षेत्र को विजित करने हेतु एक अभियान किया। अंगरेजी फौजों से कई स्थानों पर छिटपुट झड़पों के बाद कादरगंज में लार्ड लेक व होल्कर के मध्य 17 नबम्वर को हुए निर्णायक युद्ध में होल्कर की पराजय हुई और उसे यहां से हटना पड़ा। इस क्षेत्र पर पूर्ण अधिकार स्थापित कर लेने के बाद 1811 में पटियाली में एक यूरोपियन अधिकारी को पदस्थ कर भूराजस्व की बसूली के प्रयास किये। 1816 मंे पटियाली हैडक्वार्टर को सिढ़पुरा स्थापित किया गया तथा कमिश्नर्स बोर्ड के सहायक सेक्रेटरी कालबर्ट को यहां का अधिकारी बनाया गया। 1816 में ही बिलराम, फैजपुर बदरिया, व सोरों के परगने तथा आधा मारहरा का भाग इटावा से हस्तांतरण कर अलीगंज में मिला अलीगंज को तहसील बनाया गया ।
जबकि एटा, सकीट व मारहरा का शेष भाग इटावा का ही अंग रहे। 1824 में इटावा के कुछ भूभाग मैनपुरी के कलक्ट्रेट तथा इटावा, बेला व सिढ़पुरा के उप कलक्ट्रेट में विभाजित किये गये। इस व्यवस्था में सिढ़पुरा में जिले का प्रायः आधा भाग शामिल था। अंगरेज अधिकारी हर्बट को यहां का डिप्टी कलक्टर बनाया गया। इन्होंने स्वेटन होम से सिढ़पुरा व सहावर तथा कलक्टर इटावा से एटा व सकीट प्राप्त किये।
1847 में डिप्टी कलक्टर को स्वाधीन न रख इसे सम्बन्धि जिलों के कलक्टर के अधीन कर दिया गया। पर व्यवस्था के प्रभावी न हो पाने के कारण 1850 में इसे पुनः स्वाधीन कर दिया गया। यह व्यवस्था भी जब कारगर सिद्ध न हुई तो 1852 के अंत में डिप्टी कलक्टर व ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के रूप में एफ.ओ. मेयन की नियुक्ति की गयी। इसने प्रशासनिक हैडक्वार्टर को पटियाली से हटा जीटी रोड स्थित एटा ग्राम को बनाया। अंगरेजों ने भी 1854 में एटा को पूर्ण जिला बनाकर,अंगरेजों ने एफओ मेयन को ही यहां का पहला कलक्टर बना दिया।
1856 में ही मारहरा व पचलाना को अलीगढ़ से तथा 1879 में मथुरा से जलेसर परगना हटा इस नवसृजित जिले का भाग बनाने के पश्चात एटा जिले का जो मानचित्र सामने आया वह वर्ष 2008 तक यथावत बना रहा। तत्कालीन एटा जिले में जलेसर परगना को पृथक तहसील के रूप में सम्मिलित किया गया जबकि सकीट, सोंहार व मारहरा परगने एटा तहसील का भूभाग बने। वहीं आजमनगर, बरना, पटियाली व निधिपुर परगनों को मिलाकर अलीगंज तहसील को बनाया गया। बिलराम, पचलाना, फैजपुर बदरिया, सोरों, उलाई, सहावर व सिढ़पुरा कासगंज तहसील का भाग रहे।
वर्ष 1982 में पटियाली को नया तहसील मुख्यालय बनाकर उसमें पटियाली, निधिपुर व सिढ़पुरा के परगने सम्मिलित कर दिये गये। 15 अप्रेल 2008 को तत्कालीन मायावती सरकार द्वारा कासगंज को नया जिला बनाने के बाद यह व्यवस्था बदली है। अब 6 परगने एटा जिले का, जबकि 9 परगने कासगंज जिले का भाग हैं। एटा-कासगंज जिले के परगना तत्कालीन एटा जिले में 15 परगने सम्मिलित किये गये थे। इनमें से- मारहरा, सकीट, सोंहार, आजमनगर, बरना व जलेसर, कुल 6 परगना अब एटा जिले का भूभाग हैं।
जनसांख्यिकी-जनगणना के अनुसार एटा की जनसंख्या 1,761,152 है. यह भारत में 272 की रैंकिंग देता है. जिले में प्रतिवर्ग किलोमीटर 717 निवासियों (1860 / वर्ग मील) का जनसंख्या घनत्व है.2001-2011 दशक से अधिक जनसंख्या वृद्धि दर 12.77% थी. एटा में हर 1000 पुरुषों पर 863 महिलाओं का लिंग अनुपात है , और साक्षरता दर 73.27% है.
एटा के दर्शनीय स्थल
- पटना पछी विहार :-प्रवासी व अप्रवासी पछियों की शरणस्थली बन चुका पटना पछी विहार उत्तर प्रदेश के एटा जिले की जलेसर तहसील में स्थित है | जलेसर – सिकन्दराराऊ राजमार्ग पर एटा से ४७ किमी दूर तथा जलेसर से पांच किमी दूर स्थित इस अभयारण्य को सन 1990 में एक संपूर्ण अभयारण्य घोषित किया गया था | यहाँ का औसत तापमान गर्मियों में 47 डिग्री सेल्सियस व सर्दियों में ४ डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है | पटना पछी विहार बहुत पुराने खजूर के वृक्षों से घिरा एक विशाल जलाशय है जिसकी खुदाई में प्रागैतिहासिक साक्ष्य भी मिले हैं | कहा जाता है कि यह मगध के सम्राट जरासंध के मित्र कालिया का वन था, जहाँ उसका महल था | उसके महल के खंडहर और जमीन के नीचे दबे अवशेष कुछ ऐतिहासिक सत्य की गवाही देते हैं | यहाँ मिले सोने व चांदी के सिक्के द्वापर युग के बताये जाते हैं | करीब १०८ हेक्टेयर क्षेत्र में फैले पटना पक्षी विहार में स्थानीय व प्रवासी पछियों के झुण्ड, खजूर के पेड़ों से आच्छादित वन तथा विशाल झील का प्राकृतिक सौन्दर्य यहाँ के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है | वर्ष १९९१ में वन्य प्राणी विशेषज्ञों के द्वारा की गयी गाड़ना के अनुसार पटना पछी विहार में लगभग १७५ प्रजातियों के प्रख्यात पछी यहाँ प्रवास करते हैं
- कैलाश मंदिर,एटा :-एटा शहर में स्थित इस मंदिर का निर्माण संवत 1924 में राजा दिलसुख राय बहादुर ने करवाया था | मंदिर निर्माण के साथ ही इसके आसपास के पूरे क्षेत्र का नामकरण भी कैलाशगंज हो गया है | धरातल से इस मंदिर की चोटी तक की ऊँचाई करीब 200 फुट है, जबकि शिवजी की चतुर्मुखी मूर्ति धरातल से लगभग सवा सौ फुट की ऊँचाई पर स्थित है | जमीन से लेकर मूर्ती तक का पूरा आधार ठोस है, धरातल से शिवजी की चतुर्मुखी मूर्ति तक के गर्भ स्थल में किसी प्रकार का खोखलापन नहीं है, इस ठोस गर्भ पर ही दीप के आकार में शिवजी के चारों दिशाओं में उभरे मुखों की सफ़ेद पत्थर से निर्मित मूर्ति रखी गयी है, मूर्ति के समीप ही सफ़ेद पत्थर से ही निर्मित नंदी की मूर्ति स्थापित है | इसके अलावा मूर्ति की दो विपरीत दिशाओं उत्तर व दखिण में क्रमश: गणेश व माँ पार्वती की सफ़ेद पत्थर से ही निर्मित आदमकद मूर्तियाँ स्थापित की गयी हैं | मंदिर की छत पर अजन्ता व अलोरा की तरह ही शानदार भित्ति चित्रों को उकेरा गया है
एटा का मानचित्र नक्शा मैप
एटा का मानचित्र गूगल मैप पर, इस एटा के नक़्शे में सभी महत्वपूर्ण स्थानों को दर्शाया गया हैसीतामढ़ी समाचार, सुपौल न्यूज़, Vaishali News in Hindi,विहार समाचार,
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Etah district me railway jankshan banana chahiye jisse Etah ki tarkki ho jayegi yhi Etah ki Janta chahti hai
Gourav pal