अक्सर भारत का आरक्षणजीवी वर्ग एक रोना रोटा रहता है की सवर्णो का ओवर रिप्रजेंटेशन है, तो ये उनकी जानकारी की कमी है, उनको जिनते मौके और सुविधाएं मिलती है वो वास्तव में सवर्णो के टैक्स के पैसे की देन है, और बजाये इसका उपकार मानाने के उनको सवर्ण ही दुश्मन लगता है, और दूसरा रोना है की हमें सवर्णो ने पढ़ने नहीं दिया जबकि पिछले एक हजार साल से तो भारत की राजनीती में इतनी उथलपुथल चल रही है की कौन तुमको कुछ करने से रोक सकता था, फिर भी आज अगर आरक्षण और अन्य सुविधाएं हटा दे तो भी ये वर्ग के लिए स्कूल नहीं जायेगे, क्युकी मुफ्त में चाहिए सब और ऊपर से विशेष अधिकार, अब भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में रोज़गार के अवसरों को समझने के लिए केवल राष्ट्रीय औसत आंकड़े काफी नहीं होते। जाति, धर्म और क्षेत्रीय आधार पर रोज़गार की स्थिति में बड़ा अंतर है। हाल के वर्षों में Periodic Labour Force Survey (PLFS) और श्रम मंत्रालय की रिपोर्टों ने इन भिन्नताओं पर रोशनी डाली है। आइए देखें कि किस तरह से SC, ST, OBC, General, साथ ही मुस्लिम, जैन और पंजाबी (सिख) समुदाय में बेरोज़गारी दर अलग-अलग रही है।
1. जाति आधारित बेरोज़गारी
अनुसूचित जाति (SC)
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2021-22 में SC बेरोज़गारी दर लगभग 4.4% थी, जो 2023-24 में घटकर लगभग 3.3% रह गई।
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यह सुधार मुख्यतः शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में दिखा है।
अनुसूचित जनजाति (ST)
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ST वर्ग में बेरोज़गारी दर सबसे कम रही।
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2021-22 में लगभग 2.4% और 2023-24 में करीब 1.9%।
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यह संकेत देता है कि अधिकतर आदिवासी आबादी खेती या स्वरोज़गार से जुड़ी रहती है।
अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC)
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OBC वर्ग की बेरोज़गारी दर 2021-22 में 3.9% थी, जो 2023-24 में घटकर 3.1% हो गई।
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यह वर्ग धीरे-धीरे General से भी बेहतर स्थिति में आ रहा है।
सामान्य वर्ग (General/Others)
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“Others” या General श्रेणी की बेरोज़गारी 2021-22 में 4.1% थी, 2022-23 में घटकर 3.4% हुई, लेकिन 2023-24 में फिर बढ़कर 3.8% हो गई।
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यानी सुधार की गति SC/OBC की तुलना में धीमी है।
2. धार्मिक समुदायों की स्थिति
मुस्लिम समुदाय
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मुस्लिम समुदाय की बेरोज़गारी दर 2022-23 में 2.4% से बढ़कर 2023-24 में 3.2% हो गई।
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सतही तौर पर यह दर सबसे कम दिखती है, लेकिन असलियत यह है कि बड़ी संख्या में मुस्लिम लोग कैज़ुअल मज़दूरी या स्वरोज़गार में लगे हैं, जहाँ आय और सुरक्षा दोनों कम हैं।
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Regular salaried jobs (नियमित वेतन वाली नौकरियाँ) में मुस्लिमों की हिस्सेदारी 2018-19 में 22% से घटकर 2022-23 में केवल 15% रह गई।
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इसका अर्थ है कि “बेरोज़गारी कम” दिखने के बावजूद मुस्लिम समाज में “गुणवत्ता वाली नौकरी” की कमी गंभीर समस्या है।
पंजाबी (सिख समुदाय)
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सिख समुदाय की बेरोज़गारी 2022-23 में 5.1% से बढ़कर 2023-24 में 5.8% हो गई, जो सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों में सबसे ज़्यादा है।
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नियमित नौकरी की हिस्सेदारी भी धीरे-धीरे घटी है।
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पंजाब जैसे राज्य में यह समस्या और गहरी है, क्योंकि कृषि क्षेत्र पर अत्यधिक निर्भरता और उद्योगों की सीमित उपस्थिति रोज़गार के अवसरों को प्रभावित करती है।
जैन समुदाय
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जैन समुदाय पर अलग से बेरोज़गारी के ताज़ा आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, क्योंकि सरकारी सर्वे में अक्सर इन्हें “Others” श्रेणी में मिला दिया जाता है।
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लेकिन सामाजिक-आर्थिक संकेतकों से साफ है कि जैन समुदाय की शिक्षा दर (लगभग 94%) सबसे ऊँची है और आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ है।
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इसका अर्थ है कि इस समुदाय में बेरोज़गारी दर बहुत कम होने की संभावना है, और जहाँ है भी, वहाँ यह “अधूरा रोज़गार” (Underemployment) की श्रेणी में आती है।
3. साक्षरता और रोज़गार
शिक्षा स्तर और रोज़गार में सीधा संबंध है।
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जैन – 94% साक्षरता, रोजगार की स्थिति मजबूत।
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हिंदू (General + OBC) – राष्ट्रीय औसत से थोड़ी अधिक साक्षरता, रोजगार सुधार की ओर।
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सिख (पंजाबी) – लगभग 80% साक्षरता, लेकिन बेरोज़गारी सबसे अधिक।
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मुस्लिम – 74% औसत साक्षरता, कम LFPR (Labour Force Participation Rate), नौकरी की गुणवत्ता में गिरावट।
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SC/ST – शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण की वजह से स्थिति सुधरी है, खासकर सरकारी योजनाओं का असर दिख रहा है।
4. सारणी (2023-24 के अनुसार)
| समूह/समुदाय | बेरोज़गारी दर | विशेषताएँ | शिक्षा/आर्थिक स्थिति |
|---|---|---|---|
| SC | ~3.3% | सुधार स्पष्ट | शिक्षा धीरे-धीरे बढ़ रही |
| ST | ~1.9% | सबसे कम बेरोज़गारी | स्वरोज़गार/खेती पर निर्भर |
| OBC | ~3.1% | General से बेहतर स्थिति | शिक्षा में निरंतर प्रगति |
| General/Others | ~3.8% | सुधार धीमा | उच्च साक्षरता, पर बेरोज़गारी ऊँची |
| मुस्लिम | ~3.2% | बेरोज़गारी कम लेकिन नौकरी की गुणवत्ता खराब | 74% साक्षरता, कम LFPR |
| सिख (पंजाबी) | ~5.8% | सबसे ज़्यादा बेरोज़गारी | ~80% साक्षरता, पंजाब केंद्रित |
| जैन | (डेटा अनुपलब्ध, पर बहुत कम अनुमानित) | संपन्न, स्वरोज़गार प्रधान | ~94% साक्षरता, आर्थिक रूप से सुदृढ़ |
5. नीतिगत निहितार्थ
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सभी जातियों में सुधार हुआ है, लेकिन General वर्ग की बेरोज़गारी में गिरावट सबसे धीमी है।
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मुस्लिम समुदाय के लिए चुनौती बेरोज़गारी नहीं बल्कि अच्छी नौकरी की उपलब्धता है।
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सिख समुदाय (विशेषकर पंजाब) में बेरोज़गारी सबसे अधिक है—यह कृषि पर अत्यधिक निर्भरता और सीमित उद्योग का परिणाम है।
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जैन समुदाय अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में है, लेकिन डेटा की कमी नीति निर्माण में समस्या है।
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महिला रोजगार—सभी समुदायों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की स्थिति कमज़ोर है।
6. निष्कर्ष
भारत में बेरोज़गारी के राष्ट्रीय आँकड़े भले ही बेहतर होते दिख रहे हों, लेकिन जाति और धर्म के स्तर पर असमानताएँ गहरी हैं।
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SC/OBC ने रोजगार में सुधार किया है।
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ST पारंपरिक स्वरोज़गार पर निर्भर होकर कम बेरोज़गारी दिखा रहे हैं।
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General वर्ग की स्थिति उतनी मजबूत नहीं है।
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मुस्लिम और सिख समुदाय दोनों नई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं—मुस्लिमों के लिए नौकरी की गुणवत्ता और सिखों के लिए रोजगार की उपलब्धता।
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जैन समुदाय शिक्षा और आर्थिक शक्ति के बल पर सबसे बेहतर स्थिति में है।
अतः भविष्य की नीति में केवल बेरोज़गारी घटाना ही नहीं बल्कि गुणवत्ता वाले रोजगार, कौशल विकास और महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना सबसे ज़रूरी होगा।