भारत का संविधान केवल एक व्यक्ति की देन है, ऐसा कहना सच को आधा ही दिखाना है। दरअसल, यह हमारे महान नेताओं, विद्वानों, कानूनविदों और जनप्रतिनिधियों के सामूहिक प्रयास का परिणाम था। आइए इसे विस्तार से समझते हैं—
संविधान सभा की असली तस्वीर
भारत की संविधान सभा में कुल 299 सदस्य थे, जिनमें
✅ 15 महिलाएं
✅ लगभग 26 अनुसूचित जाति (SC)
✅ 34 अनुसूचित जनजाति (ST) के सदस्य शामिल थे।
9 दिसम्बर 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक हुई और 26 नवम्बर 1949 को संविधान तैयार हुआ। यानी इसे बनाने में 2 साल 11 महीने 18 दिन लगे।
मुख्य पदाधिकारी
- अध्यक्ष: डॉ. राजेंद्र प्रसाद
- उपाध्यक्ष: एच. मुखर्जी
- संवैधानिक सलाहकार: बी.एन. राव
13 समितियों का विशाल नेटवर्क
संविधान बनाने का काम सिर्फ एक व्यक्ति ने नहीं, बल्कि 13 प्रमुख समितियों ने मिलकर किया। उनमें से कुछ अहम समितियां थीं:
- संघ शक्ति समिति – सदस्य: नेहरू आदि
- संविधान समिति – नेहरू आदि
- राज्यों के लिए समिति – नेहरू आदि
- रियासतों से परामर्श समिति – सरदार पटेल आदि
- मौलिक अधिकार एवं अल्पसंख्यक समिति – पटेल आदि
- प्रांतीय संविधान समिति – पटेल आदि
- मौलिक अधिकार उपसमिति – जे.वी. कृपलानी
- झंडा समिति – जे.वी. कृपलानी
- प्रक्रिया नियम समिति – राजेंद्र प्रसाद आदि
- सर्वोच्च न्यायालय समिति – राजेंद्र प्रसाद आदि
- प्रारूप सविधिक समिति – अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर
- संविधान समीक्षा आयोग – एम.एन. वैकटाचलैया
- प्रारूप समिति (Drafting Committee) – इसमें शामिल थे:
- मोहम्मद सादुल्ला
- अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर
- एन. गोपाल स्वामी अय्यर
- एन. माधवाचार्य
- कन्हैयालाल माणिक्यलाल मुंशी
- टी.टी. कृष्णमाचारी
- भीमराव रामजी अंबेडकर
ध्यान दें—यह मात्र एक Drafting Committee थी, यानी संविधान का प्रारूप तैयार करने की जिम्मेदारी।
बी.एन. राव: असली ड्राफ्टिंग एक्सपर्ट
संविधान का ड्राफ्ट तैयार करने वाले बी.एन. राव थे, जो संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार थे। आज भी संविधान में मौजूद 343 आर्टिकल मूल रूप से उनके ड्राफ्ट किए हुए हैं।
तो क्या बाकी सदस्य 2 साल 11 महीने तक सिर्फ बैठे रहे? नहीं!
- नेहरू, पटेल, राजेंद्र प्रसाद जैसे नेता तीन-तीन समितियों के अध्यक्ष थे।
- पूरी संविधान सभा ने हर अनुच्छेद पर चर्चा की, संशोधन किए और बहुमत से पारित किया।
अंबेडकर को ही “संविधान निर्माता” क्यों कहा गया?
डॉ. अंबेडकर Drafting Committee के अध्यक्ष थे, यानी उन्होंने अंतिम भाषा और प्रारूप को तैयार किया। लेकिन—
- उनका हस्ताक्षर संविधान की कॉपी में 26वें स्थान पर है।
- सबसे ऊपर डॉ. राजेंद्र प्रसाद के हस्ताक्षर हैं।
- संविधान की हस्तलिखित मूल प्रति प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने सुंदर कलेवर में लिखी।
तो सवाल उठता है—
👉 अगर संविधान सिर्फ अंबेडकर ने बनाया तो बाकी 298 सदस्यों ने क्या किया?
👉 क्या नेहरू, पटेल, राजेंद्र प्रसाद, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, बी.एन. राव जैसे कानूनविद् उस समय “प्याज छील रहे थे”?
👉 एक समिति का अध्यक्ष बड़ा या पूरी संविधान सभा का अध्यक्ष?
वोट बैंक की राजनीति और झूठा प्रोपेगेंडा
कांग्रेस और कुछ वोट बैंक की राजनीति करने वालों ने बाद में अंबेडकर को “एकमात्र संविधान निर्माता” बताने का प्रोपेगेंडा फैलाया।
असलियत में, संविधान किसी एक जाति, समुदाय या व्यक्ति की संपत्ति नहीं। यह पूरे भारत का सामूहिक दस्तावेज़ है।
याद रखिए –
- संविधान का अंतिम मसौदा भी अकेले अंबेडकर ने नहीं लिखा, बल्कि तमाम समितियों और बहसों से तैयार हुआ।
- संविधान को सभा ने पारित किया, और उसका नेतृत्व डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने किया।
- बी.एन. राव जैसे विद्वानों ने कानूनी संरचना दी, नेहरू-पटेल ने नीति तय की, और बाकी सदस्यों ने उस पर मंथन कर अंतिम रूप दिया।
निष्कर्ष: संविधान भारत का है, किसी व्यक्ति का नहीं
भारत का संविधान एक महान सामूहिक प्रयास है। इसे तैयार करने में सैकड़ों लोगों का योगदान रहा। लेकिन वोट बैंक साधने के लिए सिर्फ एक नाम को उभारा गया, और बाकी महापुरुषों के योगदान को छिपा दिया गया।
इसलिए—
👉 संविधान को किसी जाति विशेष का नहीं, भारत माता का महान दस्तावेज़ मानिए।
👉 जो सच है, वही कहिए। बाकी सब राजनीतिक प्रोपेगेंडा है।
जय हिन्द, जय भारत!