चंद्र ग्रहण और उसका राशियों पर प्रभाव

27-28 जुलाई 2018 आषाढ़ पूर्णिमा ( गुरु पूर्णिमा) के दिन खग्रास यानी पूर्ण चंद्रग्रहण होने जा रहा है। यह ग्रहण कई मायनों में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पूर्ण चंद्रग्रहण सदी का सबसे लंबा और बड़ा चंद्रग्रहण है। इसकी पूर्ण अवधि 3 घंटा 55 मिनट होगी। यह ग्रहण भारत समेत दुनिया के अधिकांश देशों में देखा जा सकेगा। इस चंद्रग्रहण को ब्लड मून कहा जा रहा है क्योंकि ग्रहण के दौरान एक अवस्था में पहुंचकर चंद्रमा का रंग रक्त की तरह लाल दिखाई देने लगेगा। यह एक खगोलीय घटना है जिसमें चंद्रमा धरती के अत्यंत करीब दिखाई देता है।

खग्रास चंद्रग्रहण
यह खग्रास चंद्रग्रहण उत्तराषाढ़ा-श्रवण नक्षत्र तथा मकर राशि में लग रहा है। इसलिए जिन लोगों का जन्म उत्तराषाढ़ा-श्रवण नक्षत्र और जन्म राशि मकर या लग्न मकर है उनके लिए ग्रहण अशुभ रहेगा। मेष, सिंह, वृश्चिक व मीन राशि वालों के लिए यह ग्रहण श्रेष्ठ, वृषभ, कर्क, कन्या और धनु राशि के लिए ग्रहण मध्यम फलदायी तथा मिथुन, तुला, मकर व कुंभ राशि वालों के लिए अशुभ रहेगा।

ग्रहण कब से कब तक

ग्रहण 27 जुलाई की मध्यरात्रि से प्रारंभ होकर 28 जुलाई को तड़के समाप्त होगा।

स्पर्श : रात्रि 11 बजकर 54 मिनट
सम्मिलन : रात्रि 1 बजे
मध्य : रात्रि 1 बजकर 52 मिनट
उन्मीलन : रात्रि 2 बजकर 44 मिनट
मोक्ष : रात्रि 3 बजकर 49 मिनट
ग्रहण का कुल पर्व काल : 3 घंटा 55 मिनट

सूतक कब प्रारंभ होगा
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस खग्रास चंद्रग्रहण का सूतक आषाढ़ पूर्णिमा शुक्रवार दिनांक 27 जुलाई को ग्रहण प्रारंभ होने के तीन प्रहर यानी 9 घंटे पहले लग जाएगा। यानी 27 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 54 मिनट पर लग जाएगा। सूतक लगने के बाद कुछ भी खाना-पीना वर्जित रहता है। रोगी, वृद्ध, बच्चे और गर्भवती स्त्रियां सूतक के दौरान खाना-पीना कर सकती हैं। सूतक प्रारंभ होने से पहले पके हुए भोजन, पीने के पानी, दूध, दही आदि में तुलसी पत्र या कुशा डाल दें। इससे सूतक का प्रभाव इन चीजों पर नहीं होता।

ग्रहण काल में क्या सावधानियां रखें
*ग्रहणकाल में प्रकृति में कई तरह की अशुद्ध और हानिकारक किरणों का प्रभाव रहता है। इसलिए कई ऐसे कार्य हैं जिन्हें ग्रहण काल के दौरान नहीं किया जाता है।

*ग्रहणकाल में सोना नहीं चाहिए। वृद्ध, रोगी, बच्चे और गर्भवती स्त्रियां जरूरत के अनुसार सो सकती हैं। वैसे यह ग्रहण मध्यरात्रि से लेकर तड़के के बीच होगा इसलिए धरती के अधिकांश देशों के लोग निद्रा में होते हैं।

*ग्रहणकाल में अन्न, जल ग्रहण नहीं करना चाहिए।

*ग्रहणकाल में यात्रा नहीं करना चाहिए, दुर्घटनाएं होने की आशंका रहती है।

*ग्रहणकाल में स्नान न करें। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करें।

*ग्रहण को खुली आंखों से न देखें।

*ग्रहणकाल के दौरान महामृत्युंजय मत्र का जाप करते रहना चाहिए।

गर्भवती स्त्रियां क्या करें
ग्रहण का सबसे अधिक असर गर्भवती स्त्रियों पर होता है। ग्रहण काल के दौरान गर्भवती स्त्रियां घर से बाहर न निकलें। बाहर निकलना जरूरी हो तो गर्भ पर चंदन और तुलसी के पत्तों का लेप कर लें। इससे ग्रहण का प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर नहीं होगा। ग्रहण काल के दौरान यदि खाना जरूरी हो तो सिर्फ खानपान की उन्हीं वस्तुओं का उपयोग करें जिनमें सूतक लगने से पहले तुलसी पत्र या कुशा डला हो। गर्भवती स्त्रियां ग्रहण के दौरान चाकू, छुरी, ब्लेड, कैंची जैसी काटने की किसी भी वस्तु का प्रयोग न करें। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे के अंगों पर बुरा असर पड़ता है। सुई से सिलाई भी न करें। माना जाता है इससे बच्चे के कोई अंग जुड़ सकते हैं। ग्रहण काल के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करती रहें।
सर्वप्रथम संक्षेप में ग्रहण घटित होने वाले काल पर चर्चा करते हैं और समझते हैं कि इसका क्या प्रभाव होगा।

ग्रहण का मास फल – ग्रहण आषाढ़ मास में घटित होने के कारण नदियों में जल का प्रवाह कम होगा। झील तालाब का स्तर कम होगा। कश्मीर, अफगानिस्तान एवं चीन आदि में राजनीतिक संकट के साथ-साथ जन हानि एवं खण्ड वर्षा के संकेत हैं।

ग्रहण का वार फल – कपास से बने वस्त्र, कपास, चांदी, मोती, चीनी, घी चने आदि में तेजी की संभावना है। विश्व में कलाकार प्रसन्न रहेंगे और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन विशेष होगा

ग्रहण का नक्षत्र फल

ग्रहण उत्तराषाढ़ा एवं श्रवण नक्षत्र में घटित होने वाला है। इन नक्षत्रों के स्वामी क्रमशः सूर्य एवं चन्द्र हैं इसलिए नियमित कार्य करने वाले, पांडित्य का कार्य करने वाले व्यक्ति, प्रशानिक अधिकारी, चिकित्सक, तरल पदार्थ के काम करने वाले व्यक्ति तथा सरकार को हानि होने की संभावना है।

ग्रहण का योग फल
ग्रहण प्रीति योग में घटित हो रहा है। परिवारवालों व मित्रों में तालमेल की कमी होगी। मंत्रीमंडल में भी आपसी तालमेल की कमी नजर आ सकती है।

ग्रहण का राशि फल

ग्रहण मकर राशि में घटित हो रहा है। शारीरिक क्षमता से काम करने वाले मजदूर, किसान, चतुर्थवर्गीय कर्मचारी, औषधी से संबंधित कार्य करने वाले, मंत्रादि पाठ करने वाले, कर्मकाण्ड करने वाले तथा मछली या जलीय जीव या वस्तुओं के कार्य करने वाले को हानि होने की संभावना है।

ग्रहण का प्रभाव 12 राशियों पर कैसा होगा और किस अचूक उपाय से वह ग्रहण के कुप्रभाव से बच सकते हैं

मेष राशि
मेष राशि ग्रहण घटित होने वाली राशि से चौथी राशि है । यहों अपने माता का ध्यान रखना चाहिए, किसी भी तरह के भूमि, भवन व वाहन का क्रय करते समय विशेष सावधानी रखें । सामान्य सुख में कमी महसूस करेंगे ।

उपाय
गुरु की अराधना करें आपके द्वारा लिया गया निर्णय सही होगा और आप कुप्रभाव से बच सकते है।

वृष राशि

वृष राशि ग्रहण घटित होने वाली राशि से पांचवी राशि है । संतान को परेशानी हो सकती है साथ ही उच्च शिक्षा के लिए उत्सुक युवाओं को भी बाधा आने की संभावना है । किसी विशेष कार्य का निरस्त हो जाना संभव है ।

उपाय

गणेश जी की पूजा अर्चना करने से आने वाले विघ्न बाधाओं से बचा जा सकता है ।

मिथुन राशि

मिथुन राशि ग्रहण घटित होने वाली राशि से छठी राशि है। शत्रुओं पर अंकुश लगेगा। कार्य क्षेत्र में तरक्की एवं विवादित मुकदमों में विजय के संकेत हैं।

उपाय

विष्णु की अराधना करनी चाहिए। सौभाग्य की प्राप्ति होगी ।

कर्क राशि

कर्क राशि ग्रहण घटित होने वाली राशि से सातवीं राशि है । पति/पत्नी के तालमेल में कमी । व्यवसायिक पार्टनर के साथ मनमुटाव एवं यात्रा से कष्ट संभव है ।

उपाय

शिव की अराधना करनी चाहिए। ज्ञान की प्राप्ति होगी।

सिंह राशि

सिंह राशि ग्रहण घटित होने वाली राशि से आठवीं राशि है। मन में व्यथा व्याप्त हो। पुराने रोगों से परेशानी बढ़े। आचानक चोट-चपेट आदि से परेशानी हो।

उपाय

हनुमान की अराधना करनी चाहिए। संकट दूर होंगे।

कन्या राशि

कन्या राशि ग्रहण घटित होने वाली राशि से नौवीं राशि है। मान-सम्मान का खतरा हो सकता है। मन धार्मिक कार्यों से विमुख होगा। पिता को परेशानी संभव है।

उपाय

माता की आराधना करनी चाहिए । सभी बाधाएं दूर होंगी।

तुला राशि

तुला राशि ग्रहण घटित होने वाली राशि से दसवी राशि है। किसी विशेष कार्य के सफल होने से प्रसन्नता कार्य क्षेत्र में तरक्की। नए कार्य को प्रारंभ करने से लाभ मिलेगा ।

उपाय

गणेश जी की अराधना करनी चाहिए । सफलताएं मिलती रहेगी।

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि ग्रहण घटित होने वाली राशि से ग्यारहवी राशि है । पद पदोन्नति, धन का लाभ, मित्रों का अनुग्रह, अनुभवी लोगों का साथ मिलेगा ।

उपाय

श्री कृष्ण का भजन करें।

धनु राशि

धनु राशि ग्रहण घटित होने वाली राशि से बारहवीं राशि है । स्वास्थ्य की चिंता करनी चाहिए । किसी भी तरह के शारीरिक परेशानी का सामना करना पड़े । खर्च की अधिकता से मन परेशान हो।

उपाय

शिव की भक्ति अनिवार्य रूप से करनी चाहिए।

मकर राशि

मकर राशि में ही ग्रहण घटित होने के कारण विशेष सावधानी की जरूरत है । शारीरिक कष्ट, चोट-चपेट, आर्थिक हानि, मन में व्यथा आदि से परेशानी संभव है ।

उपाय

महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से लाभ होगा।

कुंभ राशि

कुंभ राशि ग्रहण घटित होने वाली राशि से दूसरी राशि है। परिवार से मतभेद, धन की हानि आदि होने की संभावना है ।

उपाय

महालक्ष्मी के मंत्रों का जप आदि करना चाहिए ।

मीन राशि

मीन राशि ग्रहण घटित होने वाली राशि से तीसरी राशि है। मित्रों का सहयोग, पराक्रम की वृद्धि, क्रीडा पसंद युवकों को आगे बढ़ने का मौका एवं विजय की प्राप्ति होगी।

उपाय

गणेश जी के मंत्रों का जप आदि करना चाहिए ।

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