राज्य | राज्य में कुल जिले | राज्य में नक्सली प्रभावित जिले | प्रभावित जिलों के नाम |
---|---|---|---|
आंध्र प्रदेश | 13 | 8 | गुंटूर, प्रकाशम, अनंतपुर, कुरनूल, विजयनगरम, पूर्वी गोदावरी, श्रीकाकुलम, विशाखापत्तनम |
बिहार | 38 | 1 1 | औरंगाबाद, गया, रोहतास, भोजपुर, काइमूर, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, सीतामढ़ी, मुंगेर, नवादा, जामूई |
झारखंड | 24 | 18 | हजारीबाग, लोहरदगा, पालमू, छत्र, गढ़वा, रांची, गुमला, सिमेदेगा, लातेहार, गिरिडीह, कोडरमा, बोकारो, धनबाद, पूर्व सिंहभूम, पश्चिम सिंहभूम, सरेकीला खारसाना, खुंती, रामगढ़ |
छत्तीसगढ़ | 27 | 9 | बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, कांकर, राजनांदगांव, सरगुजा, जशपुर, कोरिया, नारायणपुर, सुकमा |
महाराष्ट्र | 35 | 3 | गडचिरोली, चंद्रपुर, गोंडिया |
ओडिशा | 30 | 9 | मलकानगिरी, गंजम, कोरापुट, गजपति, रायगढ़, मयूरभंज, सुंदरगढ़, देवगढ़, कंधमाल |
तेलंगाना | 10 | 8 | वारंगल, करीमनगर, आदिलाबाद, खम्मम, मेडक, नलगोंडा, महबूबनगर, निजामाबाद |
उत्तर प्रदेश | 75 | 3 | सोनभद्र, मिर्जापुर, चांदौली |
पश्चिम बंगाल | 19 | 3 | बांकुरा, पश्चिम मिदनापुर, पुरुलिया |
मध्य प्रदेश | 50 | 1 | बालाघाट, भिंड, मोरेना |
कुल | 318 | 77 |
भारत में नक्सलवाद
भारत में नक्सलवाद एक ऐसी समस्या है जिसे केंद्र सरकार, राज्य सरकार और देश का बुद्दिजीवी वर्ग हमेशा एक समस्या ही बनाये रखना चाहता है, भले ही इसको बनाये रखने में किता ही खर्चा हो, चर्चा हो या फिर जन हानि हो या फिर धन हानि हो।
नक्सलवाद १९७६ में कुछ नहीं था एक मामूली सा विद्रोह था किसानो का अपने जमींदार के प्रति अपने अधिकारों के लिए, इसके लिए कुछ लोगो ने हथियार उठा लिया, अब हथियार उठा कर उसे न्याय संगत और तर्क संगत बनाने के लिए लोगो ने दुनिआ भर की विचारधाराओ का अध्ययन किया की कही मिल जाये जहा लोगो ने अपनी ही चुनी हुयी सरकार के खिलाफ हथियार उठा कर सशत्र विद्रोह किया हो।
अजीव इत्तेफाक देखिएगा की जिन लोगो ने कभी नक्सलवाड़ी गाओं के बहार कदम नहीं रखा उसके बहार कुछ देखा नहीं सोचा नहीं वो लोग चीन के माओ जेडोंग की विचार धारा से प्रभावित हो गए, और उनसे मिलने भी गए।
आज का नक्सलवाद एक ऐसी दिशा में जा रहा है जहा पर उसके प्रणेताओ के शुरुवाती समय में किये वादे और दिखाए गए सपनो से कोई लेना देना नहीं है।
आज भारत के ७७ जिले नक्सलवाद से पीड़ित है जो की भारत के १० राज्य के अंदर है, जिन लोगो का नाम लेकर आंदोलन की संज्ञा इसको दी गयी है वो लोग आज भी वही है, बल्कि और भी बदतर हालत में है, जबकि ये लोग पूरी समांतर सैन्य व्यवस्था बनाये हुए है, जिसमे कई पद और उनके वेतनमान है। साफ शब्दों में है तो इन धूर्त लोगो ने उन भोले भले लोगो के नाम पर बहुत लुटम पाट मचा ली है