खरगोन जिला मध्य प्रदेश के जिलों में एक जिला है, खरगोन जिला, इंदौर मंडल के अंतर्गत आता है और इसका मुख्यालय खरगोन में है, जिले में 5 उपमंडल है, 9 ब्लॉक है, 9 तहसील है और 6 विधान सभा क्षेत्र जो की खंडवा और खरगोन संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आती है, 1407 ग्राम है और 600 ग्राम पंचायते भी है ।
खरगोन जिला
खरगोन जिले का क्षेत्रफल 8030 वर्ग किलोमीटर है, और २०११ की जनगणना के अनुसार खरगोन की जनसँख्या 1872413 और जनसँख्या घनत्व 230/km2 व्यक्ति [प्रति वर्ग किलोमीटर] है, खरगोन की साक्षरता 63.98% है, महिला पुरुष अनुपात यहाँ पर 963 महिलाये प्रति १००० पुरुषो पर है, जिले की जनसँख्या विकासदर २००१ से २०११ के बीच 22.81 % रहा है।
खरगोन जिला भारत में कहाँ पर है
खरगोन जिला भारत के राज्यो में एकदम मध्य में स्थित मध्य प्रदेश राज्य में है, खरगोन जिला दक्षिण पश्चिम की तरफ मध्य प्रदेश का एक जिला है और इसकी भौगोलिक सीमा दस्खिन में महाराष्ट्र की सीमा को स्पर्श करती है, खरगोन 21°82′ उत्तर 75°61′ पूर्व के बीच स्थित है, खरगोन की समुद्रतल से ऊंचाई 258 मीटर है, खरगोन भोपाल से 339 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम की तरफ प्रादेशिक राजमार्ग १८ और राष्ट्रिय राजमार्ग 52 पर है और भारत की राजधानी दिल्ली से 1006 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम की तरफ राष्ट्रिय राजमार्ग 48 पर है।
खरगोन जिले के पडोसी जिले
खरगोन के उत्तर में इंदौर जिला है, पूर्व में पूर्वी निमाड़ या खंडवा जिला है, दक्षिण पूर्व में बुरहानपुर जिला है दक्षिण में महाराष्ट्र के जिले है जो की जलगांव जिला है, पश्चिम में बरवानी जिला है और उत्तर पश्चिम में धार जिला ।
Information about Khargone in Hindi
नाम | खरगोन |
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मुख्यालय | खरगोन |
प्रशासनिक प्रभाग | इंदौर डिवीजन |
राज्य | मध्य प्रदेश |
क्षेत्रफल | 8,030 किमी 2 (3,100 वर्ग मील) |
जनसंख्या (2011) | 1,872,413 |
पुरुष महिला अनुपात | 963 |
विकास | 22.81% |
साक्षरता दर | 63.98% |
जनसंख्या घनत्व | 230 / किमी 2 (600 / वर्ग मील) |
ऊंचाई | 258 मी (846 फीट) |
अक्षांश और देशांतर | 21.82 ° उत्तर 75.61° पूर्व |
एसटीडी कोड | +91-07282′ |
पिन कोड | 451001 |
संसद के सदस्य | 2 |
विधायक | 6 |
उपमंडल | 5 |
तहसील | 9 |
खंडों की संख्या | 9 |
गांवों की संख्या | 1407 |
रेलवे स्टेशन | खंडवा रेलवे स्टेशन |
बस स्टेशन | हाँ |
एयर पोर्ट | देवी अहिल्याबाई होल्कर एयरपोर्ट इंदौर |
डिग्री कॉलेजों की संख्या | 10 |
उच्चतर माध्यमिक विद्यालय | 69 |
हायस्कूल | 73 |
प्राथमिक विद्यालय (पूर्व-प्राथमिक को शामिल करना) | 2605 |
मध्य विद्यालय | 721 |
अस्पताल | 16 |
नदी (ओं) | नर्मदा, कुंदा तथा वेदा नदी |
उच्च मार्ग | NH 48 |
आधिकारिक वेबसाइट | http://khargone.nic.in |
बैंक | 9 |
प्रसिद्ध नेता (ओं) | NA |
आरटीओ कोड | MP-10 |
स्थानीय परिवहन | बस, टैक्सी आदि |
खरगोन जिले का नक्शा मानचित्र मैप
गूगल मैप द्वारा निर्मित खरगोन का मानचित्र, इस नक़्शे में खरगोन के महत्वपूर्ण स्थानों को दिखाया है
खरगोन जिले में कितनी तहसील ब्लॉक और उपमंडल है
खरगोन जिले में प्रशासनिक विभाजन उपमंडल, ब्लॉक और तहसील में किया गया है, इनके मुख्य अधिकारी SDM BDO और तहसीलदार होते है, खरगोन जिले में कुल मिलाकर 5 उपमंडल है बरवाहा, भीकनगांव, कसरवाद, खरगोन, और मंडलेश्वर जिले में 9 तहसीलें है सनावद, भीकनगांव, झिरन्या, कसरावद, खरगोन, गोगावां, भगवानपुरा, सगाओं और महेश्वर, तथा 9 विकास ब्लॉक है सनावद, भीकनगांव, झिरन्या, कसरावद, खरगोन, गोगावां, भगवानपुरा, सगाओं और महेश्वर इनको प्रशासनिक भाषा में विकास खंड और रेवेनुए रिकॉर्ड में जनपद पंचायत भी कहते है ।
खरगोन जिले में विधान सभा और लोकसभा की सीटें
खरगोन जिले में भीकनगांव, बड़वाह, महेश्वर, कसरावद, खरगोन एंड भगवानपुरा 6 विधान सभा क्षेत्र है खांडवा और खरगोन संसदीय क्षेत्र का यह एक हिस्सा है।
खरगोन जिले में कितने गांव है
खरगोन जिले में 600 ग्राम पंचायतों के अंदर आने वाले कुल 1407 गांव है, इनमे से 1400 गांवों में लोग रहते हैं जिनको आबाद ग्राम कहा जाता है और 7 गांव वीरान है मतलब इन ग्रामो के कोई नहीं रहता है, 3 नगर पालिकाएं, 4 नगर पंचायतें तथा 7 कृषि उपज मण्डियां हैं।
खरगोन जिले का इतिहास
खरगोन का इतिहास बहुत ही प्राचीन है, सबसे पहले इसके नाम का इतिहास बताते है, खरगोन जिला ी नवंबर १९५६ से पहले निमाड़ जिले के अंतर्गत आता था और निमाड़ का नाम निमार्य शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है एक ऐसी भूमि से जहा पर आर्य और अनार्य दोनों प्रकार के लोग रहते हो।
इस भूभाग पर कई राजवंशो ने राज किया जिनमे महेश्वर के हैहय वंशी, मालवा के परमार वंशी, असीरगढ़ के अहीर इसके बाद मुसलमान मुग़ल इत्यादि शामिल है।
1531 में यह भूभाग गुजरात के सुल्तान बहादुरशाह के अधीन था 1562 में अकबर के अधीन आ गया, 1740 में पेशवा में यह भूभाग इंदौर के होल्कर, ग्वालियर के सिंधिया और धार के पांवरो के अधीन आए गया था और १९५६ में इसको मध्य प्रदेश में शामिल कर लिया गया था और २५ मई 1998 में इस जिले को फिर से दो भागो में बाँट दिया गया था और बरवानी जिला इसमें से निकाल दिया गया