पानीपत हरियाणा

पानीपत जिला हरियाणा के 22 जिलों में एक जिला है, पानीपत रोहतक मण्डल का जिला है और इसका मुख्यालय पानीपत है, जिले में 2 उपमंडल है, 3 तहसीलें और 1 लोक सभा क्षेत्र है, 4 विधान सभा क्षेत्र है, 197 ग्राम है और 119 ग्राम पंचायते है। (पानीपत एवं उसके परिणाम)

पानीपत जिला

पानीपत जिले का क्षेत्रफल 1,268 वर्ग किलोमीटर है, और २०११ की जनगणना के अनुसार पानीपत की जनसँख्या 1,605,765 और जनसँख्या घनत्व 951 /km2 व्यक्ति [प्रति वर्ग किलोमीटर] है, पानीपत की साक्षरता 75.94% है, महिला पुरुष अनुपात यहाँ पर 864 महिलाये प्रति १००० पुरुषो पर है, जिले की जनसँख्या विकासदर २००१ से २०११ के बीच 24.60% रहा है।

पानीपत भारत में कहाँ पर है

पानीपत जिला भारत के राज्यो में उत्तर की तरफ की अंदर की तरफ स्थित हरियाणा राज्य में है, पानीपत जिला हरियाणा के पूर्वी भाग का जिला है और इसके उत्तर पूर्व से दक्षिण पूर्व तक उत्तर प्रदेश राज्य है, पानीपत 29.39°N 76.97°E के बीच स्थित है, पानीपत की समुद्रतल से ऊंचाई 219 मीटर है, पानीपत चंडीगढ़ से 162 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम की तरफ है और देश की राजधानी दिल्ली से 86 किलोमीटर उत्तर की तरफ ही है।

पानीपत के पडोसी जिले

पानीपत के उत्तर पूर्व से दक्षिण पूर्व तक उत्तर प्रदेश के जिले है जो की शामली जिला है, जबकि दक्षिण में सोनीपत जिला है, इसके बाद पूर्व में जींद जिला और उत्तर में करनाल जिला है ।

Information about Panipat in Hindi

नाम पानीपत
मुख्यालय पानीपत
प्रशासनिक प्रभाग रोहतक
राज्य हरियाणा
क्षेत्रफल 1,268 किमी2 (490 वर्ग मील)
जनसंख्या 1,605,765
पुरुष महिला अनुपात 864
विकास 24.60%
साक्षरता दर 76%
जनसंख्या घनत्व 951 / किमी2 (2460 / वर्ग मील)
ऊंचाई 219 मीटर (719 फीट)
अक्षांश और देशांतर 29.39°N 76.97°E
एसटीडी कोड 0180 ‘
पिन कोड 132103
संसद के सदस्य 1 [करनाल जिले के साथ साझा]
विधायक 4
उपखंडों की संख्या 2
तहसील की संख्या 3
गांवों की संख्या 197
रेलवे स्टेशन पानीपत रेलवे स्टेशन
बस स्टेशन हाँ
एयर पोर्ट दिल्ली हवाई अड्डा
डिग्री कॉलेजों की संख्या 5
अंतर कॉलेजों की संख्या 87
प्राथमिक विद्यालय (पूर्व-प्राथमिक को शामिल करना) 48
मध्य विद्यालय 285
मेडिकल कॉलेज 3
नदी (ओं) यमुना नदी
उच्च मार्ग NH1, SH14, SH16
आधिकारिक वेबसाइट http://panipat.gov.in
बैंक एनए
प्रसिद्ध नेता (ओं) NA
आरटीओ कोड HR 06
स्थानीय परिवहन बस, टैक्सी आदि

पानीपत का नक्शा मानचित्र मैप

गूगल मैप द्वारा निर्मित पानीपत का मानचित्र, इस नक़्शे में पानीपत के महत्वपूर्ण स्थानों को दिखाया पानीपत है

पानीपत जिले में कितनी तहसील है

पानीपत जिले में 3 तहसीलें है जो की पानीपत, समालखा, इसराना तहसील है ।

पानीपत जिले में विधान सभा की सीटें

पानीपत जिले में 4 विधान सभा क्षेत्र है जिनके नाम पानीपत ग्रामीण, पानीपत शहर, इस्राना, समालखा है, जबकि लोक सभा क्षेत्र १ ही है वो भी करनाल जिले के साथ साझा किया गया

पानीपत जिले में कितने गांव है

पानीपत जिले में 197 गांव है जो कि 119 ग्राम पंचायतों के माध्यम से संचालित किये जाते, ग्राम पंचायतो के ऊपर खंड और उसके ऊपर तहसील होती है, जो की जिले में 3 है और 2 उपभागें है ।

पानीपत का इतिहास

पानीपत का इतिहास पांडव और महाभारत के समय से जुड़ा हुआ है, पानीपत उस समय के ५ प्रस्थो में से एक है, जो की पाडवो ने उस समय दुर्योधन मांगे थे, उस समय के पांच प्रस्थ इस समय के स्थानों के नए नाम इस प्रकार से है, पानप्रस्थ आज का पानीपत हाउ, सांप्रत आज का सोनीपत है, इंद्रप्रस्थ आज का दिल्ली है, व्याग्रापर्स्थ आज का बागपत है, और तिलप्रस्थ आज का तिलपत है

पानीपत के जिले बनाए जाने का इतिहास भी बड़ा रोचक है, सबसे पहले इसके करनाल जिले के कुछ पूर्वी भागो से मिलाकर जिला बनाया गया था 1 नवंबर १९८९ में, फिर २४ जुलाई १९९१ में इसे फिर से करनाल जिले में जोड़ा गया, इसके बाद १ जनवरी १९९२ में इसे फिर से अलग जिला बना दिया गया।

पानीपत के इतिहास में ३ लड़ाईया हुयी जो की इतिहास में पानीपत की लड़ाई के नाम से जानी जाती है, पानीपत की पहली लड़ाई अफगानी बर्बर लुटेरे बाबर और इब्राहिम लोधी के बीच २१ अप्रैल १५२६ में हुयी, जिसमे लोधी हार गया और बर्बर बाबर ने मुग़ल साम्राज्य की स्थापना कर दी।

पानीपत की दूसरी लड़ाई बर्बर बाबर के पोते अकबर और यहाँ के एकमात्र हिन्दू राजा हेम चन्द विक्रमादित्य जिसे इतिहास में हेमू के नाम से जाना जाता है के बीच हुयी थी, इसमें धोके से अकबर के एक सैनिक ने हेमू की आंख में तीर मार दिया और हेमू अपने हठी से गिर गया, इसके बाद उसकी सेना में भगदड़ मच गयी और हेमू हार गया, बर्बर बाबर के पोते ने हेमू को बर्बरता से मार दिया, ये लड़ाई ४ नवंबर १५५६ में हुयी थी।

पानीपत की तीसरी लड़ाई मराठों और बलोच घुसपेठियो के बीच हुयी थी जो की १४ जनवरी १७६१ में हुयी थी, इस युद्ध में मराठो की रसद और अन्य खाने पिने का सामान न मिलने के कारण हार हो गयी, इसमें सबसे बड़ा दोष या धोका अन्य भारतीय राजाओ का माना जायेगा, ये पानीपत की तीसरी लड़ाई में इतिहास बदलने वाली थी।

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