दिल्ली की वास्तविक स्थापना छठवीं शताब्दी ईसा पूर्व मानी जाती है, राजधानी के रूप में इसको सर्व प्रथम अंग्रेजो ने मान्यता २०११ में दी थी, जबकि मुग़ल काल में और उसके पहले सल्तनत, गुलाम या खिलजी शासन के समय दिल्ली महत्वपूर्ण थी, यही नहीं ११वी और १२वी शतब्दी में जब राजपुताना अपने पूर्ण प्रभाव में था तब भी दिल्ली का सम्मान था, सं १९५६ में यह भारत गणराज्य में एक रियासत के रूप में शामिल हुयी और इसको देश की राजधानी का सम्मान दिया गया था जो की अपने आप में विशिस्ट है, किन्तु १ फरबरी २९९२ में दिल्ली को केंद्र षष्टी राज्य के साथ साथ राष्ट्रिय राजधानी क्षेत्र भी घोसित कर दिया गया जो की आज तक विधमान है।
दिल्ली का बारे में महत्वपूर्ण तथ्य
राज्य | दिल्ली |
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राज्यपाल | विनय कुमार सक्सेना |
मुख्यमंत्री | अरविन्द केजरीवाल |
उप मुख्यमंत्री | मनीष सिसोदिया |
आधिकारिक वेबसाइट | http://delhi.gov.in/wps/wcm/connect/DoIT/delhi+govt/delhi+home |
स्थापना का दिन | 1 फ़रवरी 1992 |
क्षेत्रफल | 1484 वर्ग किमी |
घनत्व | 12592 प्रति वर्ग किमी |
जनसंख्या (2011) | 21,753,486 |
पुरुषों की जनसंख्या (2011) | 10,987,326 |
महिलाओं की जनसंख्या (2011) | 10,766,160 |
शहरी जनसंख्या % में (2011) | 1678794100.00% |
जिले | 11 |
राजधानी | नई दिल्ली |
उच्च न्यायलय | नई दिल्ली उच्च न्यायालय |
जनसँख्या में स्थान [भारत में ] | दूसरा |
क्षेत्रफल में स्थान [भारत में ] | 31वा |
धर्म | सिख, हिन्दू, मुस्लिम, क्रिश्चियन, बौद्ध, जैन |
नदियाँ | यमुना |
वन एवं राष्ट्रीय उद्यान | राष्ट्रीय प्राणी उद्यान, असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य |
भाषाएँ | हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी, उर्दू |
पड़ोसी राज्य | हरियाणा, उत्तर प्रदेश |
राजकीय पशु | ब्लैक बक |
राजकीय पक्षी | काला तीतर |
राजकीय वृक्ष | पवित्र पीपल |
राजकीय फूल | कमल |
राजकीय नृत्य | NA |
राजकीय खेल | NA |
नेट राज्य घरेलू उत्पाद (2016) | INR 968600 Crore |
साक्षरता दर (2011) | 86.38% |
1000 पुरुषों पर महिलायें | 877 |
सदन व्यवस्था | एकसदनीय |
विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र | 70 |
विधान परिषद् सीटे | NA |
संसदीय निर्वाचन क्षेत्र | 7 |
राज्य सभा सीटे | 3 |
दिल्ली का नक्शा
गूगल मैप द्वारा निर्मित दिल्ली का नक्शा
दिल्ली का इतिहास
दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी प्रदेश भारत का एक केंद्र-शासित प्रदेश है। यमुना नदी के किनारे स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। यह भारत का अति प्राचीन नगर है। इसके इतिहास का प्रारम्भ सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है। हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में हुई खुदाई से इस बात के प्रमाण मिले हैं।
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दिल्ली का प्राचीन इतिहास
महाभारत काल में इसका नाम इन्द्रप्रस्थ था। दिल्ली सल्तनत के उत्थान के साथ ही दिल्ली एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक शहर के रूप में उभरी। यहाँ कई प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतों तथा उनके अवशेषों को देखा जा सकता हैं।
१६३९ में मुगल बादशाह शाहजहाँ ने दिल्ली में ही एक चारदीवारी से घिरे शहर का निर्माण करवाया जो १६७९ से १८५७ तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रही।
मौर्य-काल से यहाँ एक नगर का विकास होना आरंभ हुआ। महाराज पृथ्वीराज चौहान के दरबारी कवि चंद बरदाई की हिंदी रचना पृथ्वीराज रासो में तोमर राजा अनंगपाल को दिल्ली का संस्थापक बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि उसने ही ‘लाल-कोट’ का निर्माण करवाया था और महरौली के गुप्त कालीन लौह-स्तंभ को दिल्ली लाया।
दिल्ली का पुराना नाम क्या था
दिल्ली में तोमरों का शासनकाल वर्ष ९००-१२०० तक माना जाता है। ‘दिल्ली’ या ‘दिल्लिका’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम उदयपुर में प्राप्त शिलालेखों पर पाया गया। इस शिलालेख का समय वर्ष ११७० निर्धारित किया गया। महाराज पृथ्वीराज चौहान को दिल्ली का अंतिम हिन्दू सम्राट माना जाता है।
दिल्ली सल्तनत का इतिहास
१२०६ ई० के बाद दिल्ली दिल्ली सल्तनत की राजधानी बनी। इस पर खिलज़ी वंश, तुगलक़ वंश, सैयद वंश और लोधी वंश समेत कुछ अन्य वंशों ने शासन किया। ऐसा माना जाता है कि आज की आधुनिक दिल्ली बनने से पहले दिल्ली सात बार उजड़ी और विभिन्न स्थानों पर बसी, जिनके कुछ अवशेष आधुनिक दिल्ली में अब भी देखे जा सकते हैं।
दिल्ली का मध्यकालीन – मुगलकालीन इतिहास
दिल्ली के तत्कालीन शासकों ने इसके स्वरूप में कई बार परिवर्तन किया। मुगल बादशाह हुमायूँ ने सरहिंद के निकट युद्ध में अफ़गानों को पराजित किया तथा बिना किसी विरोध के दिल्ली पर अधिकार कर लिया। हुमायूँ की मृत्यु के बाद हेमू विक्रमादित्य के नेतृत्व में अफ़गानों नें मुगल सेना को पराजित कर आगरा व दिल्ली पर पुनः अधिकार कर लिया।
मुगल बादशाह अकबर ने अपनी राजधानी को दिल्ली से आगरा स्थान्तरित कर दिया। अकबर के पोते शाहजहाँ (१६२८-१६५८) ने सत्रहवीं सदी के मध्य में इसे सातवीं बार बसाया जिसे शाहजहाँनाबाद के नाम से पुकारा गया। शाहजहाँनाबाद को आम बोल-चाल की भाषा में पुराना शहर या पुरानी दिल्ली कहा जाता है। प्राचीनकाल से पुरानी दिल्ली पर अनेक राजाओं एवं सम्राटों ने राज्य किया है तथा समय-समय पर इसके नाम में भी परिवर्तन किया जाता रहा था। पुरानी दिल्ली १६३८ के बाद मुग़ल सम्राटों की राजधानी रही। दिल्ली का आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफ़र था जिसकी मृत्यू निवार्सन में ही रंगून में हुई।
दिल्ली का आधुनिक इतिहास
१८५७ के सिपाही विद्रोह के बाद दिल्ली पर ब्रिटिश शासन के हुकूमत में शासन चलने लगा। १८५७ के इस प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के आंदोलन को पूरी तरह दबाने के बाद अंग्रेजों ने बहादुरशाह ज़फ़र को रंगून भेज दिया तथा भारत पूरी तरह से अंग्रेजो के अधीन हो गया। प्रारंभ में उन्होंने कलकत्ते (आजकल कोलकाता) से शासन संभाला परंतु ब्रिटिश शासन काल के अंतिम दिनों में पीटर महान के नेतृत्व में सोवियत रूस का प्रभाव भारतीय उपमहाद्वीप में तेजी से बढ़ने लगा। जिसके कारण अंग्रेजों को यह लगने लगा कि कलकत्ता जो कि भारत के धुर पूरब मे था वहां से अफगानिस्तान एवं ईरान आदि पर सक्षम तरीके से आसानी से नियंत्रण नही स्थापित किया जा सकता है आगे चल कर के इसी कारण से १९११ में उपनिवेश राजधानी को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया एवं अनेक आधुनिक निर्माण कार्य करवाए गये।
दिल्ली भारत की राजधानी कब बनी
१९४७ में भारत की आजादी के बाद इसे अधिकारिक रूप से भारत की राजधानी घोषित कर दिया गया। दिल्ली में कई राजाओं के साम्राज्य के उदय तथा पतन के साक्ष्य आज भी विद्यमान हैं। सच्चे मायने में दिल्ली हमारे देश के भविष्य, भूतकाल एवं वर्तमान परिस्थितियों का मेल-मिश्रण हैं। तोमर शासकों में दिल्ली की स्थापना का श्रेय अनंगपाल को जाता है।दिल्ली के जिलों