प्राचीन काल में बस्ती मूलतः वैशिश्थी के रूप में जाना जाता था। वैशिश्ठी नाम वसिष्ठ ऋषि के नाम से बना हैं, जिनका ऋषि आश्रम यहां पर था। बस्ती की आबादी 2068922 (1991 में 2750764) थी। जिनमें से 1079971 पुरुष (1991 में 1437727) और 988951 महिला (1991 में 1313037) (916 लिंग अनुपात) थी। पुरुषों और महिलाओं की जनसंख्या 48% से 52 % थी। बस्ती 69% की एक औसत साक्षरता दर 59.5% के राष्ट्रीय औसत से अधिक थी। पुरुष साक्षरता 74% और महिला साक्षरता 62% थी। बस्ती में, जनसंख्या का 13% उम्र के 6 साल के अंतर्गत थी, बस्ती जिला में कुल 3129 गांव है।
बस्ती का उत्तरी किनारा सिद्धार्थ नगर से मिलता है, पूर्व में संत कबीर नगर है, दक्षिण में आंबेडकर नगर जिला है दक्षिण पश्चिम में फैज़ाबाद और पश्चिम में गोंडा जिला है।
Facts about Basti District
नाम | बस्ती |
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प्रशासनिक प्रभाग | बस्ती |
मुख्यालय | बस्ती |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
क्षेत्र | 4,30 9 किमी 2 (1,664 वर्ग मील) |
बस्ती की जनसंख्या | 2,461,056 |
पुरुष महिला अनुपात | 1 |
अक्षांश और देशांतर | 26.8 ° उत्तर अक्षांश, 82.72 ° पूर्व देशांतर |
एसटीडी कोड बस्ती | 5542 |
बस्ती का पिन कोड | 272001 |
उपखंडों की संख्या | एनए |
तहसील की संख्या | बस्ती, भानपुर, हरियाया, रुधौली |
गांवों की संख्या | बस्ती -1103, भानपुर -435, हरियाया -1529, रुधुली -284 |
रेलवे स्टेशन | लखनऊ को गोरखपुर से जोड़ना और पूर्व में बिहार और असम में स्थित मुख्य रेलवे लाइन जिले के दक्षिण में से गुजरती है। लाइन में 6 रेलवे स्टेशन हैं, जिसका नाम ज़मीन, मुंदरवा, ओवारवा, बस्ती, गोविंदनगर, टिनिच और गौर स्थित है। |
बस स्टेशन | बस्ती सड़क से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग 28 बस्ती से गुजरता है यू.पी. की लगभग 200 बसें राज्य परिवहन निगम ने 27 मार्गों पर जिले के भीतर का आयोजन किया। |
बस्ती में एयर पोर्ट | [हवाई अड्डा] सुल्तानपुर हवाई अड्डा नासर गुंज, सुल्तानपुर, [हवाई अड्डा] भदारी हवाई पट्टीकुंडका-बिहार आरडी, भद्र, [हवाई अड्डा] सरस्वती विमानन अकादमीअमात एयरफील्ड, राष्ट्रीय राजमार्ग -56, लखनऊ-वाराणसी राजमार्ग, नासर गुंज, सुल्तानपुर, [हवाई अड्डा] पर्थी गंज हवाई अड्डा राजापुर, [हवाई अड्डा] पर्थि गंज हवाई अड्डा रनवेअवार, [हवाई अड्डा] एचएएल हेलीपैड नेशनल हाइवे 931, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड कोर्वा |
बस्ती में होटल की संख्या | सुअश पैलेस होटल, प्रकाश होटल, होटल सोनी इंटरनेशनल |
डिग्री कॉलेजों की संख्या | एपीएन। डिग्री कॉलेज, किसान डिग्री कॉलेज, महिला महावीलालिया, कर्म देवी स्मृति महाविद्यालय आदि। |
अंतर कॉलेजों की संख्या | जे.एल.टी. आर.सी. इनटर कॉलेज, सेंट्रल एकेडमी स्कूल, सेंट बैसिल हाई स्कूल, एसटी जाव्वार के हाईस्कूल, सरसावती शिशू मंडीर एसआरसीएस एसईसी, महाराष्ट्र विद्या मंडी, केन्द्रीय विद्यालय, खैर इंडस्ट्रीयल इंटर कॉलेज, मिशन अकादमी बस्ती, डी। एन। कॉन्वेंट स्कूल, एस.टी. जोसेफस स्कूल, |
मेडिकल कॉलेजों की संख्या | पीम्स मेडिकल एंड एजुकेशन चारी, लाइफकायर मेडिकोस, ए सी बी इंस्टीट्यू, खरा मेडिकल स्टोर, पीबी मेडिकल इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिन। पीजी अकादमी, देश भगत ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स |
इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या | कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी (सीईएमटी) |
बस्ती में कंप्यूटर केंद्र | केरटी कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट, इंस्टीट्यूट ऑफ कम्प्यूटर, निट लिमिटेड, कंप्यूटर पॉइंट तकनीकी कॉलेज, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ इंफोमा।, एईसाइक्ट ट्रॅनिंग सेंटर, एसाईक ट्रॅनिंग सेंटर, केएल कंप्यूटर, टैली एकेडमी, पूर्वांचल कंप्यूटर सेंटर, एमजी कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट, बालाजी एजुकेशनल ट्यूटोरियल, उपटेक कम्प्यूटर शिक्षा, अवध कंप्यूटर संस्थान, स्किल्स पॉइंट कंप्यूटर सेंटर, एपीईएक्स ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन, रुक्ष्मीटेक सर्विसेज, |
बस्ती में मॉल | वी मार्ट, तुलसीय वस्तराया प्राइवेट लिमिटेड |
बस्ती में अस्पताल | जिला अस्पताल, पिंडारी अस्पताल, गोविंद भट्टाचार्य, जिला महिला अस्पताल, घोडा अस्पताल, चौधरी बावसिर अस्पताल, बस्ती दंत अस्पताल, लोकप्रिया डेंटल अस्पताल, लाइफ केयर सेंटर, |
बस्ती में विवाह हॉल | टाउन हॉल, वेडिंग विला, बादशाह विवाह हॉल |
नदी (ओं) | क्वैनो |
उच्च मार्ग | राष्ट्रीय राजमार्ग 28 |
ऊंचाई | 855 मीटर (2,805 फीट |
घनत्व | 570 / किमी 2 (1,500 / वर्ग मील) |
आधिकारिक वेबसाइट | Http://basti.nic.in/ |
साक्षरता दर | 69.6 9% |
बैंक | भारतीय स्टेट बैंक, पूर्वांचल बैंक बैंक, आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड, एक्सिस बैंक लिमिटेड, पंजाब नेशनल बैंक, एचडीएफसी बैंक लिमिटेड, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, कॉर्पोरेशन बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, पंजाब नेशनल बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, सिंडिकेट बैंक, इलाहाबाद बैंक, विजया बैंक बस्ती, यूनाईटेड बैंक ऑफ इंडिया , शहरी सहकारी बैंक, इंडियन बैंक, आंध्र बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, |
प्रसिद्ध नेता (ओं) | हरीश द्विवेदी, ब्रिजिक्षक सिंह, राम प्रसाद चौधरी, अंबिका सिंह, आनंद राजपाल |
राजनीतिक दलों | भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस, आप |
आरटीओ कोड | यूपी -51 |
आधार कार्ड केंद्र | 31 |
प्रमुख निर्यात वस्तु | शून्य |
स्थानीय परिवहन | कैलाश नगर चौक, चौक बस्ती जोधवेल, ताजपुर रोड चौक, |
मीडिया | बस्ती जिले में समाचार पत्र, ग्रामीण / शहरी होने वाला रेडियो, ट्रांजिस्टर, मीडिया, टेलीविजन। |
विकास | 18.21% |
यात्रा स्थलों | पक्के बाजार, अहमद पुल, कुतुवा, गणेशपुर, मखाउडा, चावनी बाजार, नगर, चांदो ताल, बारह, जामा मस्जिद, कटेश्वर पार्क, भदेश्वर नाथ, पेडा, महुआ दाबर, भूला ताल, पाकीरी विकी, दीवा (जैतापुर), अगना आदि शामिल हैं। |
आयुक्त | अनुराग श्रीवास्तव |
सामाजिक कार्यकर्ता | अयोध्या प्रसाद श्रीवास्तव एक प्रोफेसर, सामाजिक कार्यकर्ता और वकील हैं |
बस्ती का इतिहास
किंवदंतियों के अनुसार, सदियों से बस्ती एक जंगल था और अवध की अधिक से अधिक भाग पर भार कब्जा था। भार के मूल और इतिहास के बारे में कोई निश्चित प्रमाण शीघ्र उपलब्ध नही है। जिला में एक व्यापक भर राज्य के सबूत के रुप मे प्राचीन ईंट इमारतों के खंडहर लोकप्रिय है जो जिले के कई गांवों मे बहुतायत संख्या में फैले है। बस्ती का इतिहास दो भागो मे दर्शाया गया
बस्ती का प्राचीन काल इतिहास
बहुत प्राचीन काल में बस्ती के आसपास का जगह कौशल देश का हिस्सा था। शतपथ ब्राह्मण अपने सूत्र में कौशल का उल्लेख किया हैं, यह एक वैदिक आर्यों और वैयाकरण पाणिनी का देश था। राम चन्द्र राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र थे जिनकी महिमा कौशल देश मे फैली हुई थी, जिंहे एक आदर्श वैध राज्य, लौकिक राम राज्य की स्थापना का श्रेय जाता है। परंपरा के अनुसार, राम के बड़े बेटे कुश कौशल के सिंहासन पर बैठे, जबकि छोटे बेटे लव को राज्य के उत्तरी भाग का शासक बनाया गया राजधानी श्रावस्ती था।
छठी शताब्दी ई. में गुप्त शासन की गिरावट के साथ बस्ती भी धीरे – धीरे उजाड़ हो गया, इस समय एक नए राजवंश मौखरी हुआ, जिसकी राजधानी कन्नौज था, जो उत्तरी भारत के राजनैतिक नक्शे पर एक महत्वपूर्ण स्थान ग्रहण किया और इसी राज्य में मौजूद जिला बस्ती भी शामिल था।
9वीं शताब्दी ई. की शुरुआत में, गुजॅर प्रतिहार राजा नागभट्ट द्वितीय ने अयोध्या से कन्नौज शासन को उखाड़ फेंका और यह शहर उनके नये बनते शासन का राजधानी बना, जो राजा महीरा भोज 1 के समय मे बहुत ऊचाई पर था। राजा महिपाल के शासनकाल के दौरान, कन्नौज के सत्ता में गिरावट शुरू हो गई थी और अवध छोटा छोटे हिस्सों में विभाजित हो गया था लेकिन उन सभी को अंततः नये उभरते शक्ति कन्नौज के गढवाल राजा जय् चंद्र मिले। यह वंश के अंतिम महत्वपूर्ण शासक थे जो हमलावर सेना मुहम्मद गौर के खिलाफ चँद॔वार की लड़ाई (इटावा के पास) में मारा गये थे उनकी मृत्यु के तुरंत बाद कन्नौज तुर्कों के कब्जे में चला गया।
बस्ती का मध्ययुगीन इतिहास
13वीं सदी की शुरुआत में, 1225 में इल्तुतमिश का बड़ा बेटा, नासिर-उद-दीन महमूद, अवध के गवर्नर बन गया और इसने भार लोगो के सभी प्रतिरोधो को पूरी तरह कुचल डाला। 1323 में, गयासुद्दीन तुगलक बंगाल जाने के लिए बेहराइच और गोंडा के रास्ते गया शायद वह जिला बस्ती के जंगल के खतरों से बचना चाहता था और वह आगे अयोध्या से नदी के रास्ते गया। 1479 में, बस्ती और आसपास के जिले, जौनपुर राज्य के शासक ख्वाजा जहान के उत्तराधिकरियो के नियंत्रण में था। बहलूल खान लोधी अपने भतीजे काला पहाड़ को इस क्षेत्र का शासन दे दिया था जिसका मुख्यालय बेहराइच को बनाया था जिसमे बस्ती सहित आसपास के क्षेत्र भी थे। इस समय के आसपास, महात्मा कबीर, प्रसिद्ध कवि और दार्शनिक इस जिले में मगहर में रहते थे।
यह कहा जाता है कि प्रमुख राजपूत कुलों के आगमन से पहले, इन जिलों में स्थानीय हिंदू और हिंदू राजा थे और कहा जाता है कि इन्ही शासको द्वारा भार, थारू, दोमे और दोमेकातर जैसे आदिवासी जनजातियों और उनके सामान्य परम्पराओ को खत्म कर दिया गया, ये सब कम से कम प्राचीन राज्यों के पतन के बाद और बौद्ध धर्म के आने के बाद हुआ। इन हिंदुओं में भूमिहार ब्राह्मण, सर्वरिया ब्राह्मण और विसेन शामिल थे। पश्चिम से राजपूतों के आगमन से पहले इस जिले में हिंदू समाज का राज्य था। 13वीं सदी के मध्य में श्रीनेत्र पहला नवागंतुक था जो इस क्षेत्र मे आ कर स्थापित हुआ। जिनका प्रमुख चंद्रसेन पूर्वी बस्ती से दोम्कातर को निष्कासित किया था। गोंडा प्रांत के कल्हण राजपूत स्वयं परगना बस्ती में स्थापित हुए थे। कल्हण प्रांत के दक्षिण में नगर प्रांत में गौतम राजा स्थापित थे। महुली में महसुइया नाम का कबीला था जो महसो के राजपूत थे।
अन्य विशेष उल्लेख राजपूत कबीले में चौहान का था। यह कहा जाता है कि चित्तौङ से तीन प्रमुख मुकुंद भागे थे जिनका जिला बस्ती की अविभाजित हिस्से पर शासन था। 14वीं सदी की अंतिम तिमाही तक बस्ती जिले का एक भाग अमोढ़ा पर कायस्थ वंश का शासन था।
अकबर और उनके उत्तराधिकारी के शासनकाल के दौरान जिला बस्ती, अवध सुबे के गोरखपुर सरकार का एक हिस्सा बना हुआ था। जौनपुर के गवर्नर के शासनकाल के शुरू के दिनों में यह जिला विद्रोही अफगानिस्तान के नेताओं जैसे अली कुली खान, खान जमान का शरणस्थली था। 1680 में मुगल काल के दौरान औरंग़ज़ेब ने एक दूत काजी खलील-उर-रहमान को गोरखपुर भेजा था शायद स्थानीय प्रमुखों से राजस्व का नियमित भुगतान प्राप्त करने के लिए। खलील-उर-रहमान ने ही गोरखपुर से सटे जिलो के सरदारों को मजबूर किया था कि वे राजस्व का भुगतान करे। इस कदम का यह परिणाम हुआ कि अमोढ़ा और नगर के राजा, जो हाल ही में सत्ता हासिल की थी, राजस्व का भुगतान को तैयार हो गये और टकराव इस तरह टल गया। इसके बाद खलील-उर-रहमान ने मगहर के लिए रवाना हुआ जहाँ उसने अपनी चौकी बनाया तथा राप्ती के तट पर बने बांसी के राजा के किले पर कब्ज़ा कर लिया। नव निर्मित जिला संत कबीर नगर का मुख्यालय खलीलाबाद शहर का नाम खलील उर रहमान से पङा जिसका कब्र मगहर मे बना है। उसी समय एक प्रमुख सङक गोरखपुर से अयोध्या का निर्माण हुआ था 1690 फ़रवरी में, हिम्मत खान (शाहजहाँ खान बहादुर जफर जंग कोकल्ताश का पुत्र, इलाहाबाद का सूबेदार) को अवध का सूबेदार और गोरखपुर फौजदार बनाया गया, जिसके अधिकार में बस्ती और उसके आसपास का क्षेत्र बहुत समय तक था। आधुनिक काल
एक महान और दूरगामी परिवर्तन तब आया जब 9 सितम्बर 1772 मे सआदत खान को अवध सूबे का राज्यपाल नियुक्त किया गया जिसमे गोरखपुर का फौजदारी भी था। उसी समय बांसी और रसूलपुर पर सर्नेट राजा का, बिनायकपुर पर बुटवल के चौहान का, बस्ती पर कल्हण शासक का, अमोढ़ा पर सुर्यवंश का, नगर पर गौतम का, महुली पर सुर्यवंश का शासन था। जबकि अकेला मगहर पर नवाब का शासन था, जो मुसलमान चौकी से मजबूत बनाया गया था।
नवंबर 1801 में नवाब शुजा उद दौलाह का उत्तराधिकारी सआदत अली खान ने गोरखपुर को ईस्ट इंडिया कंपनी को आत्मसमर्पण कर दिया, जिसमे मौजूद जिला बस्ती और आसपास के क्षेत्र का भी समावेश था। रोलेजे गोरखपुर का पहला कलेक्टर बना था। इस कलेक्टर ने भूमि राजस्व की वसूली के लिए कुछ कदम उठाये थे लेकिन आदेश को लागू करने के लिए मार्च 1802 में कप्तान माल्कोम मक्लोइड ने मदद के लिए सेना बढा दिया था।
बस्ती जिले के दर्शनीय स्थल
अमोढ़ा, छावनी बाजार, संत रविदास वन विहार, भद्रेश्वर नाथ, मखौडा, श्रंगीनारी, गणेशपुर, धिरौली बाबू, केवाड़ी मुस्तहकम, नागर, चंदू ताल, बराह, अगौना, पकरी भीखी आदि यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से है।
अमोढ़ा: अमोढ़ा जिला मुख्यालय से 41 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह पुराने दिनों में राजा जालिम सिंह का राज्य था। इसके अलावा राजा जालिम सिंह के महल यहाँ है, महल की पुरानी दीवार अंग्रेज द्वारा इस्तेमाल के लिए गोली के निशान के साथ अभी भी वहाँ है। इसके अलावा एक प्रसिद्ध मंदिर यहाँ है। रामरेखा मन्दिर भगवान राम और सीता देवी के सबसे प्राचीन हिंदू मंदिर में से एक है। भगवान श्री राम जनकपुर-अयोध्या की अपनी यात्रा के दौरान एक दिन के लिए यहाँ रुके थे। उसके बाद भगवान श्री राम और लक्ष्मण के साथ सीता राम जानकी मार्ग ( SH-72) छावनी पास सड़क मार्ग से अयोध्या की ओर किया है ।
छावनी बाजार: छावनी बाजार जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। छावनी बाजार 1858 ई. के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों का प्रमुख शरण स्थान रहा है। यह स्थान शहीदो के पीपल के वृक्ष के लिए भी प्रसिद्ध है। इसी जगह पर ब्रिटिश सरकार ने जनरल फोर्ट की मृत्यु के पश्चात् कार्रवाई में 500 जवानों को फांसी पर लटका दिया था।
संत रविदास वन विहार: संत रविदास वन विहार (राष्ट्रीय वन चेतना केन्द्र) कुआनो नदी के तट पर स्थित है। यह वन विहार जिला मुख्यालय से केवल एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित गणेशपुर गांव के मार्ग पर है। यहां पर एक आकर्षक बाल उद्यान और झील स्थित है। इस बाल उद्यान और झील की स्थापना सरकार द्वार पिकनिक स्थल के रूप में की गई है। वन विहार के दोनों तरफ से कुवाना नदी का स्पर्श इस जगह की खूबसूरती को और अधिक बढ़ा देता है। संत रविदास वन विहार स्थित झील में बोटिंग का मजा भी लिया जा सकता है। सामान्यत: अवकाश के दौरान और रविवार के दिन अन्य दिनों की तुलना में काफी भीड़ रहती है।
भदेश्वर नाथ: यह कुआनो नदी के तट पर, जिला मुख्यालय से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भद्रेश्वर नाथ भगवान शिव को समर्पित मंदिर है। माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना रावण ने की थी। प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है। काफी संख्या में लोग इस मेले में सम्मिलित होते है।
मखौडा: मखौडा जिला मुख्यालय के पश्चिम में लगभग 57 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान रामायण काल से ही काफी प्रसिद्ध है। राजा दशरथ ने इस जगह पर पुत्रेस्ठी यज्ञ किया था। जिससे भगवन राम के उदभव का कारण स्थल यही स्थान कहा जाता है। मखौडा कौशल महाजनपद का एक हिस्सा था।
श्रंगीनारी: अयोध्या धाम से लगभग 30 किमी की दूरी पर स्थित ऋषि श्रंगी का आश्रम व तपोस्थली।
गनेशपुर: गनेशपुर बस्ती जिला का एक छोटा सा गांव है। यह पश्चिम में मुख्यालय से सिर्फ 4 किमी. दूर और कुआनो नदी के तट पर स्थित है। यह पुराने मूल के पिंडारियो के उत्पत्ति का स्थान है।
बेहिल नाथ मंदिर: बनकटी विकास खंड के बस्ती शहर से सोलहवें किमी पर स्थित बेहिलनाथ मंदिर प्राचीन कालीन है। कहा जाता है कि यह बौद्ध काल का मंदिर है। अष्टकोणीय अर्घा में स्थापित शिवलिंग अपने आप में अनूठा है। इस स्थान पर प्राचीन टीले हैं जिनकी खुदाई हो तो यहां का संपन्न इतिहास के बारे में पता चलेगा।
थालेश्वरनाथ मंदिर: बनकटी से तीन किलोमीटर उत्तर थाल्हापार गांव में स्थित यह मंदिर प्राचीन कालीन है। गांव से पंद्रह मीटर ऊचाई पर स्थित यह मंदिर पर्यटन विभाग की सूची में दर्ज है तथा यहां पर्यटकों के ठहरने के लिए सरकार की ओर से चार कमरे भी बनाए गए हैं।
लोढ़वा बाबा शिवमंदिर : भानपुर तहसील के बडोखर बाजार में स्थित इस मंदिर पर शिवरात्रि के दिन विशाल मेला लगता है।
कणर मंदिर: बस्ती चीनी मिल के पार्श्व में स्थित यह शिवमंदिर भी प्राचीनतम मंदिरों में शुमार है
चंदो ताल: चंदो ताल जिला मुख्यालय से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। माना जाता है कि प्राचीन समय में इस जगह को चन्द्र नगर के नाम से जाना जाता था। कुछ समय पश्चात् यह जगह प्राकृतिक रूप से एक झील के रूप में बदल गई और इस जगह को चंदो ताल के नाम से जाना जाने लगा। यह झील पांच किलोमीटर लम्बी और चार किलोमीटर चौड़ी है। माना जाता है कि इस झील के आस-पास की जगह से मछुवारों व कुछ अन्य लोगों को प्राचीन समय के धातु के बने आभूषण और ऐतिहासिक अवशेष प्राप्त हुए थे। इसके अलावा इस झील में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पक्षियों की अनेक प्रजातियां भी देखी जा सकती है। ये ताल नगर बाजार से पूर्व में सेमरा चींगन गांव तक पहुंचा हुआ है
महादेवा मंदिर : बस्ती जिले से 20 किलोमीटर पश्चिम दिशा में कुवानो नदी के घाट पार एक विशाल बरगद के निचे महादेव का मंदिर है। प्रति वर्ष शिवरात्रि के पावन पर्व पर विशाल मेला लगता है। इस दिन चारो तरफ से बहुत से लोग अपनी मनोकामना के साथ महादेव का दर्शन करते हैं। इस मंदिर का इतिहास बहुत ही पुराना है। किवदन्ती है कि देवरहाबाबा बाबा का कुछ दिनों तक यहाँ धर्मस्थली रही है।
बस्ती जिले का नक्शा मानचित्र मैप
गूगल मैप द्वारा निर्मित बस्ती का मानचित्र, इस नक़्शे में बस्ती के महत्वपूर्ण स्थानों को दिखाया गया है
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